Basoda Festival: रांदा पुआ पर घरों में बन रहे पकवान

Basoda Festival: रांदा पुआ पर घरों में बन रहे पकवान

Ananya soch: Randa Pua fest

अनन्य सोच। Basoda Festival: बास्योड़ा पर्व शुक्रवार को मनाया जाएगा. इससे पहले गुरुवार को रांदा पुआ पर घरों में पकवान बनाए गए। महिलाओं ने शीतला माता के भोग के लिए चावल, हलवा, राबड़ी, घाट, गुंजिया, सकरपारे, पूड़ी, पापड़ी, पुए, पकौड़ी, मूंगथाल सहित अन्य व्यंजन बनाए. गुरुवार को रांधा पुआ होने से भोग और पूजन की सामग्री की खरीदारी के चलते बाजारों में रौनक रही. मूंगथाल की जमकर बिक्री हुई. मिट्टी का मटका, सराई, कलश भी खरीदे गए। बड़ी चौपड़ और छोटी चौपड़ पर बड़ी संख्या में अस्थायी दुकानों पर देर शाम तक मिट्टी के बर्तनों की बिक्री होती रही. 

इन सब ठंडे पकवानों का भोग राबड़ी दही के साथ शुक्रवार को बास्योड़ा पर शीतला माता के लगाया जाएगा. इसके बाद ही ठंडे भगवान पकवानों का प्रसाद ग्रहण करेंगे. शीतला माता के प्रति श्रद्धा भाव रखते हुए एवं मां की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए लोग शीतलाष्टमी पर्व पर ठंडा भोजन ही ग्रहण करेंगे. घरों में सुबह चूल्हा नहीं जलेगा। स्नान भी ठंडे पानी से किया जाएगा. 

ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा के अनुसार शीतला माता की पूजा केवल धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि उनके द्वारा धारण की गई वस्तुओं के माध्यम से हमें जीवन में कई महत्वपूर्ण संदेश मिलते हैं. मां शीतला गधे की सवारी करती है, उनके एक हाथ में झाड़ू दूसरे हाथ में कलश है, जो एक विशेष संदेश देते हैं. मां शीतला केवल चेचक रोग ही नहीं पीतज्वर, विस्फोटक, फोड़े, घुटने, नेत्रों के सभी रोग, फुंसियों के चिह्न तथा जनित दोष जैसे रोग हरती है. शीतला माता के एक हाथ में झाडू है। झाड़ू से जुड़ी मान्यता है कि हम सफाई के प्रति जागरूक रहे. सभी लोगों को सफाई के प्रति सजग रहना चाहिए। आसपास सफाई होने से बीमारियां दूर रहती हैं. दूसरे हाथ में कलश से जुड़ी मान्यता है कि कलश का ठंडा पानी गर्मी में लाभप्रद होता है. माता के कलश में शीतल स्वास्थ्यवर्धक और रोगाणु नाशक जल होता है. कलश में सभी 33 कोटि देवी-देवताओं का वास रहता है। शीतला माता की सवारी गधा है. गधा मेहनती होता है। हम भी मेहनत से जी नहीं चुराए. माता के संग ज्वारसुत दैत्य, हैजकी देवी, चौंसठ रोग, त्वचा रोग के देवता, रक्तवती देवी विराजमान होती हैं.