निर्जला ग्यारस मनाई

निर्जला ग्यारस मनाई

Ananya soch: Nirjala Gyaras

अनन्य सोच। Nirjala Gyaras news: ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी शनिवार को विभिन्न मांगलिक योग-संयोग में निर्जला ग्यारस के रूप में मनाई गई. वैष्णव  श्रद्धालुओं ने निर्जला एकादशी का व्रत रख कर श्री हरि भगवान विष्णु का पूजन किया. निर्जला एकादशी पर गोविंद मंदिर में श्रद्धालु उमड़ पड़े. सुबह मंगला से रात की शयन झांकी तक करीब दो लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. मंगला और शयन झांकी में सर्वाधिक संख्या में श्रद्धालु ठाकुरजी के दर्शन करने पहुंचे. मंगला झांकी में श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तरह श्रद्धालु उमड़ पड़े. सुबह मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक कर नवीन पोशाक धारण कराई गई. लाल रंग की पोशाक धारण कराकर चंदन,पुष्प और आभूषणों से ठाकुरजी का मनोरम श्रृंगार किया गया. श्रृंगार झांकी आकर्षण का केन्द्र रही। राजभोग झांकी में 30 प्रकार के 551 किलो फलों की झांकी सजाई गई. दोपहर को ठाकुरजी को सूती धोती-कुर्ता धारण कराकर सुगंधित जल के रियासतकालीन फव्वारे से जल विहार कराया गया। इस झांकी का समय भी बढ़ाया गया. 


बिना परेशानी के हुए दर्शन:
निर्जला एकादशी पर हजारों की संख्या में दर्शनार्थियों ने ठाकुरजी के दर्शन किए. इस कारण दर्शन की व्यवस्थाओं में बदलाव किया। बदली हुई व्यवस्था से दर्शनार्थियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई.  पुलिस के आला अधिकारी और मंदिर प्रबंधन के स्वयंसेवकों ने व्यवस्थाओं में सहयो किया. एकादशी को सुबह मंगला से शयन झांकी तक ठाकुरजी ने भक्तों को करीब 16 घंटे दर्शन दिए. भक्तों की संख्या अधिक होने के कारण प्राय: हर झांकी 15  मिनट से आधा घंटे के लिए बढ़ाई गई. मंगला झांकी में दर्शनार्थियों की संख्या अधिक रहने के कारण झांकी के दर्शन का समय बढ़ाया गया. मंगला झांकी सुबह साढ़े चार से पौने सात बजे तक खुली रही. लगातार दो घंटे से भी अधिक समय तक ठाकुरजी ने भक्तों को दर्शन दिए. ज्यादातर श्रद्धालुओं ने जूते-चप्पल खोल कर ही मंदिर में प्रवेश कर जगमोहन से ठाकुरजी के दर्शन किए।  चप्पल-जूते पहनकर आने वालों के लिए अलग से बैरिकेटिंग की गई थी. नंगे पांव आने वाले श्रद्धालुओं ने जगमोहन के बाहर से दर्शन किए. निकास की व्यवस्था जय निवास उद्यान से होकर की गई। दर्शनार्थियों को धूप और तपन से बचाने के लिए मंदिर के बाहर से जगमोहन तक छाया की माकूल व्यवस्था रही. पूरे परिसर में टैंट लगाया गया. जगह-जगह पंखे और कूलर भी लगाए गए। पीने के पानी की व्यवस्था के लिए पांच जगह मंदिर की ओर से प्याऊ लगाई गई. करीब 200 स्वयंसेवक और पुलिसकर्मी तैनात रहें. पुलिस और प्रशासन के उच्चाधिकारी व्यवस्थाओं पर नजर बनाए हुए थे.