Rajasthan Forum: पिता की इच्छा थी कि अगर लड़की होगी तो उसे कथक सिखाऊंगा

Rajasthan Forum's Desert Souls Series: कथक नृत्य गुरू डॉ. रेखा ठाकर से कथक नृत्यांगना मनीषा गुलयानी की बातचीत

Rajasthan Forum: पिता की इच्छा थी कि अगर लड़की होगी तो उसे कथक सिखाऊंगा

Ananya soch: Rajasthan Forum's Desert Souls Series

राजस्थान फोरम की डेजर्ट सोल्स सीरीज़

Rajasthan Forum's Desert Souls Series

अनन्य सोच। Rajasthan Forum's Desert Souls Series: राजस्थान फोरम (Rajasthan Forum) की डेजर्ट सोल्स सीरीज़ (Rajasthan Forum's Desert Souls Series) में गुरूवार को प्रदेश की जानी-मानी कथक नृत्यांगना और नृत्य गुरू डॉ. रेखा ठाकर शहर के संस्कृति प्रेमियों से रूबरू हुईं. इस मौके पर कथक नृत्यांगना मनीषा गुलयानी ने विभिन्न रोचक सवालों के जरिए रेखा ठाकर की चालीस वर्ष से भी अधिक की कथक नृत्य साधना और शिक्षण प्रशिक्षण की यात्रा में आए विभिन्न पड़ावों और रेखा द्वारा इस क्षेत्र में किए गए कार्यों को वहां मौजूद श्रोताओं के समक्ष रखा. 

अपनी कला के सफर के बारे में बताते हुए रेखा ठाकर ने कहा कि यह मेरे पिता की इच्छा थी कि अगर लड़की होगी तो उसे कथक सिखाऊंगा. उन्होंने बताया गुरु बाबूलाल पाटनी से  सीखा भाव और लय के साथ  अनुशासन में रहना. वही पंडित गिरधारी जी महाराज से सीखा रियाज और घंटो तैयारी. गुरु गौरी शंकर जी ने सिखाया कला में सात्विक हो जाना। उन्होंने कहा गुरुओं के साथ-साथ माता-पिता का आशीर्वाद और पत्रकारिता का भी  सहयोग रहा मुझे एक कलाकार के रूप में स्थापित कर देने का। रेखा कहती है कि कथक मेरी सांसों में समाया है. 
इसी ने मेरे जीवन को सुर और लय में साध रखा है

कलाकार के लिए रियाज़ एक कड़ी तपस्या है

उन्होंने कहा कलाकार को एक कड़ी तपस्या से गुजरना होता है, सब कुछ भूल कर कला में डूबना, घंटो रियाज करना होता है. इसके लिए बहुत ही जरूरी है धैर्य के साथ-साथ अनुशासन में रहना. 

मेरे शिष्य ही मेरे लिए प्रेरणा स्रोत है

आजकल कला से जुड़ जाने के बाद भी बच्चों को और भी बहुत कुछ करना होता है. जिसके चलते वे कला को ज्यादा समय नहीं दे पाते और ना ही उतनी मेहनत कर पाते. पर मेरे लिए मेरे शिष्य ही मेरी प्रेरणा है, यही उद्देश्य रहता है कि कैसे उनके भीतर की कला को पूरी तरह से बाहर ला पाऊं. 

शब्द, प्रकृति और भावनाएं उत्साहित करती है कुछ नया करने के लिए

प्रकृति और भावनाएं कला में कुछ नया करने के लिए उत्साहित करती है. ऋषिकेश में गंगा की लहरों से प्रेरित होकर एक तराना बनाया जिसका नाम भी "गंगा" रखा. उन्होंने कहा कई बार मुझे कुछ शब्द दिल में चुभ जाते हैं कि मन करता है इस पर भी कुछ काम करूं. 


इससे पूर्व राजस्थान फोरम की सदस्य डाॅ मधुभट्ट तैलंग ने कार्यक्रम में आए अतिथियों और कलाकारों का अभिनंदन किया. टॉक शो में मौजूद फोरम के  सदस्य पद्मश्री रामकिशोर छीपा, पद्मश्री तिलक गीतई, पद्मश्री मुन्ना मास्टर और डॉ मधुभट्ट तैलंग ने रेखा ठाकर एवम् मनीषा गुलयानी को स्मृति चिन्ह भेंट कर फोरम की ओर से उनका अभिनंदन किया. 

इस मौके पर राजस्थान फोरम के सदस्य पद्मश्री तिलक गीतई,  रामकिशोर छीपा, मुन्ना मास्टर और सांस्कृतिक समन्वयक सर्वेश भट्ट सहित शहर के चुनिंदा संस्कृति प्रेमी भी मौजूद थे.