इस अभिनेत्री ने कहां, यहाँ मैं अपनी किताब बेचने आई हूँ
Ananya soch: I have come here to sell my book: Huma Qureshi
अनन्य सोच। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आज फ़िल्म अभिनेत्री हुमा क़ुरैशी अपने पहले उपन्यास ज़ेबा पर आधारित एक सत्र में भाग लेने आईं। इस सत्र का नाम सुपर वूमेन एंड सुपर पावर्स : रीगेमिंग फ़िक्शन था। इस अवसर पर उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए अपनी किताब के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यह उपन्यास उन सभी लोगों के लिए है जो खुद पर फोकस कर अपनी सुपरपावर बनना चाहते हैं। यह एक ऐसी कहानी है जिसमें जादू, आश्चर्य और गहरी भावनाओं का मिश्रण है। इस उपन्यास की पृष्ठभूमि वीरता, बदलाव और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की मानवीय भावना पर आधारित है। इस किताब में समकालीन मुद्दों को काल्पनिक विषयों के साथ जोड़ा गया है, जिससे यह और भी अधिक प्रभावशाली बन जाती है।
उन्होंने बताया कि यह कहानी पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं के संघर्ष, सत्ता और परिवार जैसे जटिल मुद्दों पर चर्चा करती है। उपन्यास में जादुई यथार्थवाद, सांस्कृतिक आलोचना और समकालीन प्रासंगिकता को जोड़ा गया है। यह एक ऐसी नायिका की कहानी है जो अपने भीतर के राक्षसों से लड़ती है और असाधारण साहस का परिचय देती है। ज़ेबा नामक यह पात्र स्वतंत्रता, सशक्तिकरण और धैर्य का प्रतीक है। कहानी एक बिगड़ैल, अमीर लड़की की है, जो अपने आलीशान न्यूयॉर्क अपार्टमेंट की छत पर आराम फरमाने और अपनी पसंदीदा मारिजुआना के गहरे कश लेने के अलावा किसी भी चीज़ में दिलचस्पी नहीं रखती। लेकिन वह एक अप्रत्याशित सुपरहीरो बनने वाली है।
ज़ेबा की जिंदगी में अचानक बड़ा मोड़ आता है जब वह खुदीर नाम की दूर की भूमि पर जाती है। वहीं उसे अपनी महाशक्तियों का स्रोत - पवित्र झरना ज़सा ज़सा - मिलता है। अब उस पर यह जिम्मेदारी आ जाती है कि वह उस दुनिया को बचाए जिसे वह प्यार करती है। उसके सामने सबसे बड़ा दुश्मन है द ग्रेट खान, जो क्रूर तानाशाह है और उसके इरादे बेहद शैतानी हैं। इस लड़ाई में ज़ेबा को सिर्फ अपने बाहरी शत्रुओं से ही नहीं, बल्कि अपने भीतर के राक्षसों से भी जूझना है। यह केवल उसके परिवार को नहीं बल्कि पूरी दुनिया को बचाने की लड़ाई है।
हुमा कुरैशी ने बताया कि ज़ेबा एक असामान्य सुपरहीरो है, जिसने एक असामान्य केप पहना है। यह किरदार जितना अलग है, उतना ही भरोसेमंद भी है। यह स्वतंत्रता, सशक्तिकरण और धैर्य का चमकदार प्रतीक है। इस उपन्यास को जादू और जुनून के साथ लिखा गया है, और यह वीरता व परिवर्तन की एक रोमांचक दास्तान पेश करता है। अंततः यह कहानी विपरीत परिस्थितियों में मानवीय भावना की विजय को दर्शाती है।
हुमा ने आगे बताया कि यह उपन्यास एक विद्रोही लड़की के सुपरहीरो में बदलने की कहानी है। यह एक ऐसी यात्रा है जो न केवल सशक्त बनाने वाली है बल्कि इसमें कई अप्रत्याशित मोड़ भी हैं। उन्होंने कहा कि इस किताब को लिखने में उन्हें दो साल लगे। हालांकि उन्होंने 2019 में इस पर काम शुरू किया था, लेकिन शुरुआत में वे केवल दस-बीस लाइनें ही लिख पाईं और फिर मामला आगे नहीं बढ़ा।
हुमा ने यह भी खुलासा किया कि शुरुआत में उन्होंने इस कहानी को एक फ़िल्म की स्क्रिप्ट या टेलीविजन शो के रूप में लिखा था, लेकिन बाद में इसे उपन्यास के रूप में प्रकाशित करने का निर्णय लिया। उनका कहना था कि हार्पर कॉलिन्स के साथ काम करते हुए उन्हें एक नई तरह की स्वतंत्रता मिली और उन्होंने इस कहानी को अपने अनुसार गढ़ा। उन्होंने कहा कि यह उपन्यास मान्यताओं को चुनौती देता है और हम सभी के भीतर मौजूद ताकत का जश्न मनाता है।
जब उनसे कुंभ और अभिनेत्रियों के महा मंडलेश्वर बनने के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे यहां एक लेखिका के रूप में आई हैं और अपनी किताब के प्रमोशन के लिए आई हैं, इसलिए वे केवल अपनी किताब से जुड़े सवालों का जवाब देंगी। उन्होंने कहा कि दूसरे लोग क्या कर रहे हैं, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं है।
सफलता और असफलता को लेकर हुमा ने कहा कि हर कलाकार के जीवन में दोनों ही आती हैं। लेकिन उनका मानना है कि असफलता से ज्यादा सीखने को मिलता है। इंसान को अपनी गलतियों का ईमानदारी से विश्लेषण करना चाहिए और उनसे सीखकर आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने यह भी बताया कि जब भी मौका मिलेगा, वे इस कहानी पर एक फ़िल्म जरूर बनाएंगी।