पूर्णता की तलाश करते नाटक आधे अधूरे का हुआ मंचन
अनन्य सोच। एक माध्यम वर्गीय परिवार की विसंगतियों को उजागर करते और पूर्णता की व्यर्थ तलाश में भटकती सावित्री की मनोदशा को चित्रित करते नाटक आधे अधूरे का मंचन शनिवार शाम रवींद्र मंच पर किया गया. सावित्री, महेंद्रनाथ और उनके तीन बच्चों की कहानी पर आधारित इस नाटक का लेखन मोहन राकेश ने किया और निर्देशन डॉ सौरभ भट्ट का था.
वीणापाणि कला मंदिर और रत्ना सागर के सहयोग से मंचित इस नाटक में सावित्री की भूमिका 22 वर्षीय झिलमिल भट्ट ने निभाई. जबकि महेन्द्रनाथ, सिंघानिय, जगमोहन और जुनेजा की चार भूमिकाओं में विशाल भट्ट नज़र आये. बेटे अशोक का किरदार मोहित कृष्णा ने, बड़ी लड़की बिन्नी की भूमिका चारु भाटिया ने और छोटू लड़की कितनी की भूमिका सरगम भट्ट ने निभाई. नाटक में काले सूट वाले का किरदार तपन भट्ट ने निभाया.
नाटक में स्त्री-पुरुष के संबंधों, अमानवीय परिस्थितियों और पारस्परिक मनान्तर को एक जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया तथा बताया गया कि पूर्णता की तलाश व्यर्थ है, कोई भी व्यक्ति स्वयं में सम्पूर्ण नहीं है और जीवन इसी अपूर्णता को स्वीकार करते हुए जीना होता है.
नाटक के तकनीकी पक्ष में प्रकाश व्यवस्था दिनेश प्रधान, संगीत प्रभाव अभषेक झांकल, मंच सज्जा आसिफ शेर अली और रूप सज्जा ऋतुराज बांका ने संभाली.