नाटक 'गार्गी' का मंचन
अनन्य सोच। टैगोर थिएटर योजना के अंतर्गत शुक्रवार को गार्गी नाटक का मंचन रवींद्र मंच पर हुआ. कलावत के.एल. द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक की शुरुआत ऋषि वचकन्नू के आश्रम से होती है. राजा महावशी जनक के दरबार में शास्त्रार्थ के लिए भरे दरबार में जाते है. शास्त्रार्थ के लिए कोई खड़ा नहीं होता है तब ऋषि सभी गायों की हांकने की आज्ञा देते हैं. तब गार्गी आगे बढ़कर शास्त्रार्थ को चुनौती देती है. गार्गी अपने अनंत प्रश्नों की ऋषि याज्ञवल्क्य पर बौछार कर देती है. नाटक बालिकाओं में जोश एवं प्रेरणा उत्पन्न करता है. आधुनिकता में ऐतिहासिकता का समावेश करते हुए आत्मविश्वास से लबरेज करता है. नाटक शिक्षा पर भी प्रकाश डालता है कि जीवन में शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है निश्चित रूप से उक्त नाटक में महिला सशक्तिकरण के साथ आत्मविश्वास को बढ़ावा मिलता है. नाटक में अंजली प्रजापति, तरुण सुनारीवाल, जितेंद्र, भारती प्रजापति, रिचा चौधरी, संजय ने सशक्त अभिनय किया. मंच के मैनेजर प्रियव्रत सिंह चारण के अनुसार नाटक में प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, फिल्म व टीवी जगत के कलाकार, कला प्रेमी, साहित्यकार एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे.