Jaipur Literature Festival: मोहिंदर अगर क्रिकेटर न बनते तो भारत 83 का विश्व कप भी नहीं जीता होता 

नवल पांडेय।

Jaipur Literature Festival: मोहिंदर अगर क्रिकेटर न बनते तो भारत 83 का विश्व कप भी नहीं जीता होता 

Ananya soch: If Mohinder had not become a cricketer, India would not have won the 83 World Cup.

अनन्य सोच। Jaipur Literature Festival: Jaipur Literature Festival में आज चार बाग में हुए सेशन “Fear Less: Breaking Through the Boundary Line” में चर्चा करते हुए रजिंदर अमरनाथ ने कहा कि मैंने अपने पिता लाला अमरनाथ पर भी किताब लिखी है और अब यह अपने भाई Mohinder Amarnath पर लिखी है लेकिन मेरा मानना है कि पिता पर लिखना थोड़ा आसान था जबकि जिस भाई के साथ आप बड़े हुए है,खेले हैं, झगड़े हैं, बदले में मार खाई है उन सब पर लिखना मुश्किल होता है। बचपन में मेरे भाई को मेरी वजह से कई बार पिटाई भी खानी पड़ी है। इन्हें फिल्मों का शोक था और पिताजी को फ़िल्म के नाम से ही नफ़रत थी। उन्हें क्रिकेट से बहुत लगाव था. सारे दिन क्रिकेट खेलना भी अलाऊ था. रजिंदर अमरनाथ ने कहा की उनके भाई मोहिंदर अगर क्रिकेटर न बनते तो शायद फिल्मों में चले जाते पर तब भारत 83 का विश्व कप भी नहीं जीत पाता.

उन्होंने कहा कहा कि एक क्रिकेटर के रूप में तो मोहिंदर को सब जानते है लेकिन उनके व्यक्तित्व के कई पहलू आप इस किताब से ही जान पाएंगे.
किताब के इतनी देर से आने के सवाल पर मोहिंदर अमरनाथ ने कहा कि “यह मौहब्बतों का शहर है जनाब , यहाँ सवेरा सूरज से नहीं आपके दीदार से होता है”. किताब लिखने का काम भाई का था सो मैंने कह दिया कि क्रिकेटर बनाया है तो अब किताब भी लिख. इस किताब पर हम तीन साल से काम कर रहे थे. मैं तो हिंदी मीडियम से पढ़ा हूँ इसलिए मैं पहले हिंदी में नोट्स  बनाता और फिर अंग्रेजी में उनके अनुवाद करवाता। ऐसे में कोई तारतम्य ही नहीं बन पाया. सब भाई रजिंदर की ही मेहनत है. हम भाग्यशाली रहे कि हमें पिता के रूप में एक पिता ही नहीं बल्कि एक मेंटर , एक कोच मिला जिसने हमें खेल के साथ ही अनुशासन भी सिखाया. उन्होंने हमारे भविष्य का बड़ी कुशलता और सुंदरता से निर्माण किया. उन्होंने हमारे भीतर खेल की प्रतिभा को जगाकर हमेशा खेलने के लिए प्रोत्साहित किया. उनका मानना था कि भले ही पढ़ाई अच्छी न करे पर क्रिकेटर बन जाएँगे तो ही रहेगा. उन्होंने हमें टफ होना सिखाया. चोट लगने पर भी डरना नहीं बल्कि संघर्ष करना सिखाया. मैंने कई क्लास दो दो साल में पास किए क्योंकि हमारे लिए पढ़ाई से ज़्यादा क्रिकेट महत्वपूर्ण रहा. हमारे पिता कहा करते थे कि मैंने पहले क्रिकेट से शादी की है बाद में तुम्हारी माँ से. क्रिकेट उनके लिए जुनून था. एक चैलेंज था. उनका कहना था कि चैलेंज आपको अधिक मजबूत बनाता है. असफलता आपको नए अवसर देती है. मैंने भी असफलता पर मजबूती से काम किया और हर बार नया करने की कोशिश की. मैंने हर असफलता के बाद अपने पिता को देखा और इससे हमेशा मेरा भरोसा बढ़ा. मैंने फेल होने पर निराशा की जगह लगातार सीखना जारी रखा और अपना अभ्यास कभी बंद नहीं किया. जब मैं टीम से बाहर रहता तब भी निराश नहीं होता था. 1970 में मैं छह सप्ताह क्रिकेट से दूर था लेकिन जब वेस्ट इंडीज़ दौरे पर गया तो दो पारी में दो शतक आ गए। जब मैं फ़ील्ड में होता था तो एक ही उद्देश्य होता था सिर्फ़ देश के लिए खेलना. वतन से बड़ा कुछ नहीं है और लकी रहा हूँ कि मुझे देश की सेवा का अवसर मिला. 
1981-82 में क्रिकेट से बाहर था और अपनी पत्नी जो यू के के लंकाशायर में काम करती थी, के साथ था. मेरे क्रिकेटर मित्र कहने लगे कि अब तीस पार कर गया है छोड़ क्रिकेट को,अब क्या खेलेगा ? उसी दौरान मैंने रॉकी फ़िल्म देखी और मुझे प्रेरणा मिली कि कोशिश करनी चाहिए तो मैंने फिर से प्रेक्टिस की. ट्रेनिंग और एक्सरसाइज ने मेरा सोया हुआ जुनून जगा दिया.
मोहिंदर का कहना था कि आप फ़ास्ट बॉलिंग के सामने खेलकर ही अच्छे बल्लेबाज़ बन सकते हैं। हमेशा एग्रेसिव रहो ,पॉजिटिव रहो. आँखे नहीं चुरानी है। जुनून है   जोश है तो आप कुछ भी कर सकते हैं। खेल से बचना एक अवसर खो देना है. उस समय हमारी टीम में भी साउथ के कुछ खिलाड़ी ऐसे थे जिनकी सोच थी कि फ़ास्ट बॉलर्स से चोट खाने से अच्छा है कि खेले ही नहीं. मैंने कभी भी समस्या को कल पर नहीं छोड़ा। उसका मुक़ाबला आज ही किया.

पाकिस्तान में शराब की नदियाँ बहती थीं 

मोहिंदर ने बताया कि उस समय टीम और मैनेजमेंट के रिश्ते इतने दोस्ताना हुआ करते थे कि जब हम पाकिस्तान टूर पर जा रहे थे तो हमारे मैनेजर ने कह कि सब अपने किट में वाइन की एक्स्ट्रा बोतल रख लेना क्योंकि पाकिस्तान में शराब नहीं मिलेगी लेकिन जब वहाँ गए तो देखा कि यहाँ तो शराब की नदियाँ बह रही है. कराची में वहाँ एक बार भारतीय और पाकिस्तानी खिलाड़ी एक केंटोनमेंट एरिया में पार्टी कर रहे थे तभी अचानक कुछ पाकिस्तानी आर्मी के लोग ए के 47 लिए आ धमके और शराब पीने के लिए पूरी इंडियन टीम को जेल में डालने की धमकी देने लगे. लेकिन बाद में मामला शांत हो गया.
मोहिंदर अमरनाथ ने कहा कि पाकिस्तानी अंपायर तो बेहद ईमानदार होते हैं। उनके खिलाड़ी बीच मैच में उनसे पूछते हैं कि अल्लाह कहाँ हैं तब अंपायर उंगली उठाकर आकाश की तरफ़ इशारा कर देते हैं और विपक्षी खिलाड़ी आउट हो जाते हैं. 

सलेक्टर्स को कोई मुश्किल नहीं होती 

एक समय सलेक्टर्स को बंच ऑफ़ जोकर्स कहने के बाद ख़ुद सलेक्शन कमेटी में रहे हैं तो खिलाड़ी के चयन में आने वाली चुनौतियों के सवाल पर अमरनाथ का कहना था कि टीम को चुनना कोई मुश्किल काम नहीं क्योंकि आप देश की टीम चुन रहे होते है न कि किसी को खुश करने के लिए। कई युवा टैलेंट देश के लिए खेलने का इंतज़ार कर रहे होते हैं और कुछ सीनियर अपने स्लो खेल से देश को निराश कर रहे होते हैं .