मंटो की ‘काली सलवार’ – मंच पर मानवीय संवेदनाओं की सशक्त अभिव्यक्ति

मंटो की ‘काली सलवार’ – मंच पर मानवीय संवेदनाओं की सशक्त अभिव्यक्ति

  Ananya soch: Manto's 'Kaali Salwar' - a powerful expression of human emotions on stage

अनन्य सोच। अर्जुन नाट्य संस्था, जयपुर ने प्रख्यात लेखक सआदत हसन मंटो की चर्चित कहानी ‘काली सलवार’ पर आधारित नाटक का सफल मंचन रविंद्र मंच के मिनी सभागार में किया. पवन सोनी के निर्देशन में प्रस्तुत इस नाटक ने दर्शकों को गहन संवेदनाओं से रूबरू कराया. 

कहानी के केंद्र में सुल्ताना नामक एक यौनकर्मी है, जिसकी सबसे बड़ी इच्छा मात्र एक काली सलवार पहनने की है. आर्थिक तंगी और सामाजिक उपेक्षा के बीच उसकी यह चाह एक प्रतीक बनकर सामने आती है—जहाँ एक साधारण स्त्री की तरह उसके भी सपने और आकांक्षाएँ हैं, लेकिन समाज उन्हें कभी मान्यता नहीं देता। नाटक इस विडंबना को उजागर करता है कि सलवार पाने के बाद भी सुल्ताना खालीपन और अधूरेपन से भरी रह जाती है. 

इस मंचन में जेनिस हाश्मी, तन्मय सिंह, उत्कर्ष कश्यप, नीर खत्री, खुशी जैन, भूमिका कौशिक, आकर्ष काला, प्रथम मित्तल और आकाश मंडार ने प्रभावशाली अभिनय से कहानी को जीवंत किया. संगीत मनीषा शेखावत ने दिया, जबकि बैक स्टेज पर आनंद मोहन शर्मा ने सहयोग किया. सह-निर्देशन तन्मय सिंह ने और प्रकाश परिकल्पना व निर्देशन पवन सोनी ने संभाला. 

यह प्रस्तुति दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है कि समाज की परिधि पर खड़े लोगों के सपनों और इच्छाओं को भी मानवीय संवेदनाओं के साथ देखा जाना चाहिए.