world's first heritage riverfront: विश्व के पहले हेरिटेज रिवरफ्रंट उद्घाटन समारोह में इंद्रदेव भी हुए मेहरबान

world's first heritage riverfront: विश्व के पहले हेरिटेज रिवरफ्रंट उद्घाटन समारोह में इंद्रदेव भी हुए मेहरबान
Ananya soch: world's first heritage riverfront
अनन्य सोच। first heritage riverfront: कोटा जिले में विश्व के पहले रिवरफ्रंट के लोकार्पण समारोह में मंगलवार को सांध्यकाल के समय अतिथियों द्वारा पचिमी घाट पर बने 12 घाटों का निरीक्षण कर चम्बल नदी में बोटिंग की.विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी, स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल, शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला, उद्योग शकुंतला रावत ने जैसे ही विश्व की सबसे बड़ी चम्बल माता की प्रतिमा पर बटन दबाकर घट से जलप्रवाह शुरू किया बरसात की झडी लग गई, मानों इन्द्रदेव ने प्रसन्न होकर खुशियां की बौछार की हो. 
अतिथियों द्वारा रिवरफ्रंट (riverfront) पर बने शौर्य घाट से riverfront पर प्रवेश किया तथा एक-एक घाट की विशेषताओं को नजदीकी से देखा. जहां लोक कलाकारों द्वारा अपनी भव्य सांस्कृतिक प्रस्तृति के साथ अतिथियों को परम्परागत रूप से स्वागत किया. लोकार्पण समारोह के गवाह शहर के 10 हजार से अधिक नागरिक बनें जिन्हें विशेष आमंत्रण के साथ आमंत्रित किया गया था. बरसात की फुहारों के बीच पंडितों ने विधि विधान से चंबल माता की आरती की तथा अतिथियों ने देश प्रदेश में खुशहाली के लिए कामना की गई. इस अवसर पर राजस्थान क्रिकेट एसोशिएशन के अध्यक्ष वैभव गहलोत, अमित धारीवाल, विभिन्न बोर्ड निगमों के अध्यक्ष एवं विधायकगण, शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे. 
अतिथियों ने देखे ये घाट-
-जवाहर घाटः- इस घाट पर पं. जवाहर लाल नेहरू जी का गन मेटल से बना फेस मास्क लगाया गया है, जो कि 32 फीट ऊंचा एवं 25 टन वजनी है. पर्यटक मूर्ति की आंख के तल पर चढकर नेत्रो से पूर्वी तट के घाटो एवं चम्बल माता की मूर्ति को निहार सकते है. 
-गीता घाटः-गीता घाट में वियतनाम मार्बल के पट्टिका में गीता के सम्पूर्ण 18 अध्याय के समस्त 700 श्लोको को उकेरा किया गया है. 
-शान्ति घाटः- इस घाट पर योग मुद्रा में इन्विजिबल स्कलप्चर लगाया गया है, जिसमें मानव शरीर के सातो चक्रो को दर्शाया गया है. 
-नन्दी घाटः- इस घाट पर नन्दी की 25 फीट लम्बी 15 फीट चौड़ी एवं 20 फीट ऊंची (अधिकतम ऊंचाई) की प्रतिमा लगाई गई है. 
-वेदिक घाटः- इस घाट पर पंच तत्वो को दर्शाते हुए, बाडोली शैली में 5 मंदिरों का निर्माण किया गया है. 
-रोशन घाटः- इस घाट में इस्लामिक फेज की वास्तुकला को दर्शाया गया है. इसके बीच में जन्नती दरवाजे का निर्माण किया गया है. 
-घंटी घाटः- इसमें विश्व का सबसे बड़ा धातु का घंटा लगाया गया है. 
-तिरंगा घाटः- इस घाट पर भारत का विशाल राष्ट्रीय ध्वज लगाया गया है. 
 -शौर्य घाट:- यह पश्चिमी छोर का प्रवेश द्वार है। इस चौक में विशाल पार्किग, पर्यटको के लिए इन्फोरमेशन सेंटर, रेस्टोरेंट आदि की व्यवस्था की गई है. 
-राजपूताना घाटः- इस घाट में राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रो जैसे- मेवाड़, मारवाड़, ढूंढाड़, बांगड़, हाडौती क्षेत्र की विभिन्न इमारतों की प्रतिकृतिया बनाई गई हैं जैसे-पौद्दार हवेली, जगमंदिर, जगनिवास, गणगौरी घाट, हवामहल, गणेशपोल, सरगासुली, विजय स्तम्भ, ब्रहमा मंदिर, रणकपुर, पटवा हवेली आदि का निर्माण किया गया है. 
-जुगनु घाटः- इस घाट में एल.ई.डी. के फ्लोरा एण्ड फोना निर्माण किया जायेगा। इसमें एक ओपन थियेटर का भी निर्माण किया गया है. 
-हाथी घाटः- इसमें प्राकृतिक चटटानो पर सफेद मार्बल के हाथी लगाये गये है. 
-बालाजी घाट:- इस घाट पर बटक बालाजी का मंदिर का निर्माण किया गया है एवं पूर्व में निर्मित एतिहासिक मंदिरो की धरोहर को भी संरक्षित किया गया है.