National Contemporary Miniature Painting Workshop: कलागुरु डॉ. सुमहेन्द्र की स्मृति में राष्ट्रीय समसामयिक लघु चित्रण कार्यशाला का शुभारंभ

परम्परागत चित्रण शैलियों के पुनरुथान एवं उस चित्रण तकनीक से वर्तमान परवेश में नव-सृजन को प्राथमिकता देना ही कलावृत्त का मूल उद्देश्य है

National Contemporary Miniature Painting Workshop: कलागुरु डॉ. सुमहेन्द्र की स्मृति में राष्ट्रीय समसामयिक लघु चित्रण कार्यशाला का शुभारंभ

Ananya soch: National Contemporary Miniature Painting Workshop 

अनन्य सोच। National Contemporary Miniature Painting Workshop: संस्था कलागुरु डॉ. सुमहेन्द्र के 81वें जन्मदिवस पर उनकी 50 वर्षो की कला यात्रा को समर्पित राष्ट्रीय समसामयिक लघु चित्रण कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ शनिवार को कलानेरी आर्ट गैलरी में हुआ. कलावृत्त के अध्यक्ष संदीप सुमहेन्द्र ने बताया कि कार्यशाला का यह 5वां संस्करण है जिसमे देशभर से 72 चित्रकारों का चयन हुआ है और अब सभी चयनित चित्रकार अपना चित्रण कार्य आज से अपने स्टूडियो में आरंभ करेंगे तथा 12 नवम्बर तक अपना उत्कृष्ट चित्र पूर्ण कर लेंगे. कलावृत द्वारा राजस्थान ललित कला अकादमी एवं गैलरी आर्ट के संयुक्त तत्वावधान में यह कार्यशाला आयोजित की हुईं है। कार्यशाला में चित्रित श्रेष्ठ पांच चित्रों को क्रमश: पद्मश्री रामगोपाल विजयवर्गीय, पद्मश्री कृपाल सिंह शेखावत, कलारत्न पी. एन. चोयल, प्रो. देवकीनन्दन शर्मा एवं कलागुरू वेदपाल शर्मा "बन्नू जी" के नाम का सम्मान एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया जाएगा. बाकी चित्रों में से 24 चित्र वर्ष 2025 के कैलेंडर के लिए चयनित की जाएंगी। अन्य सभी चित्रकारों को डिजिटल प्रमाण-पत्र दिए जाएंगे.

कार्यशाला की मूल अवधारणा पर कलानेरी आर्ट गैलरी के प्रबंधक विजय शर्मा ने बताया कि कलावृत्त द्वारा राजस्थान ही नहीं देश की अन्य परंपरागत कला शैलियों के पुनरुथान एवं आधुनिक परवेश में समसामयिक विषयों से प्रेरित होकर चित्रित करना बहुत ही अदभुद और कलाकारों को नई दिशा प्रदान करेगा. 

रंगमंच स्कॉलर व निर्देशक, डॉ. चंद्रदीप हाडा ने सुमहेन्द्र जी के व्यक्तित्व के बारे कहा कि गुरुजी बड़े ही हँसमुख और ऊर्जावान व्यक्तित्व के धनी थे, उनके मार्गदर्शन में कलाकारों एवं कला विद्यार्थियों ने निरंतर उच्च स्तरीय सृजन कार्य किया है. 5वीं ऑनलाइन कार्यशाला से विद्यार्थियों को पारंपरिक चित्रकला को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में देखने और समझने का अवसर मिलेगा जो निश्चय ही चित्रकला जगत को और अधिक समृद्धि प्रदान करेगा. 

राजस्थान ललित कला अकादमी के पूर्व सचिव एवं प्रवक्ता डॉ. सुरेंद्र सोनी ने बताया कि मैं श्रद्धेय डॉ. सुमहेन्द्र जी से राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट में उनके कार्यकाल के दौरान संपर्क में आया था तथा उनके साथ बिताए कुछ पलों को सभी के साथ साझा किया। जवाहर कला केंद्र में दिए गए उनके योगदान के बारे में प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि डॉ. सुमहेन्द्र जी बहुत ही जुझारू एवं कला को समर्पित एक महान विभूति रहे हैं और कला क्षेत्र में उनका अतुल्य योगदान रहा है, जिसमें रविन्द्र मंच पर उनकी बनाई हुई रविन्द्र नाथ टैगोर की आदमकद प्रतिमा आज भी मुंह बोलती है. कार्यक्रम के आखिर में संदीप सुमहेन्द्र ने सभी चित्रकारों एवं कलाकारों का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया.