जयपुर में बारिश का खलल, फिर भी धूमधाम से मनाया गया दशहरा, कई स्थानों पर रावण दहन

Ananya soch: Rain disrupted Dussehra celebrations in Jaipur
अनन्य सोच। छोटीकाशी में गुरुवार को विजयादशमी का पर्व पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया. आदर्शनगर, विद्याधर नगर, न्यू गेट स्थित रामलीला मैदान, शास्त्री नगर, झोटवाड़ा, कालवाड़ रोड, प्रतापनगर और सांगानेर सहित सैकड़ों स्थानों पर रावण के पुतलों का दहन हुआ. परिवार सहित आए लोगों ने इस ऐतिहासिक दृश्य का आनंद लिया। कई स्थानों पर दशहरा मेलों का आयोजन हुआ, जहां खाने-पीने, झूलों और बच्चों के मनोरंजन के लिए विशेष प्रबंध किए गए.
विद्याधर नगर स्टेडियम में रावण दहन से पूर्व रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। यहां करीब 100 फीट ऊंचा रावण जलाया गया. वहीं आदर्शनगर दशहरा मैदान में 105 फीट ऊंचे रावण और 90 फीट के कुंभकरण के पुतलों का दहन किया गया. रावण दहन से पहले हुई रंगीन आतिशबाजी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. नियाग्रा फॉल्स जैसे झरने, स्टार वार जैसी झलक, धूमकेतु, चमकीली अशरफियां और फूलों की वर्षा ने माहौल को भव्य बना दिया. जैसे ही भगवान श्रीराम के स्वरूप ने रावण की नाभि में अग्निबाण छोड़ा, रावण धू-धू कर जल उठा और श्रद्धालुओं ने जय श्रीराम के जयकारों के बीच इस क्षण को यादगार बनाया. इसके बाद राम मंदिर में श्रीराम का राजतिलक सम्पन्न हुआ.
न्यू गेट रामलीला मैदान में 51 फीट ऊंचे रावण का दहन किया गया. मंचन के दौरान राम बने पात्र ने जैसे ही अग्निबाण छोड़ा, रावण जलने लगा और दर्शक रोमांचित हो उठे. वहीं प्रतापनगर में इस बार पहली बार गोकाष्ठ से बने 51 फीट लंबे रावण का दहन किया गया. यह रावण गाय के गोबर और अनुपयोगी चारे से बनाया गया था. कार्यक्रम में अनिल बनेठा वाले और गायक राजीव विजयवर्गीय को सम्मानित भी किया गया.
शास्त्री नगर, झोटवाड़ा, मुरलीपुरा, कालवाड़ रोड और सांगानेर सहित विभिन्न इलाकों में भी रावण दहन और दशहरा मेलों का आयोजन हुआ.
गुप्त वृन्दावन धाम में भी विजयादशमी का पर्व भव्यता से मनाया गया. यहां श्रीकृष्ण-बलराम का राम-लक्ष्मण के रूप में मनमोहक श्रृंगार किया गया सुबह से देर रात तक नामरामायण पाठ, भजन-कीर्तन और संकीर्तन के बीच श्रद्धालु भाव विभोर रहे. इस अवसर पर 40 कलाकारों ने रामलीला मंचन किया जिसमें भरत के विरह प्रसंग ने सभी को भावुक कर दिया. इसके बाद रावण दहन और भगवान की पालकी यात्रा भी निकाली गई, जिसमें भक्तगण संकीर्तन पर झूमते-नाचते दिखाई दिए.
इस तरह पूरे जयपुर में दशहरा पर्व धर्म की अधर्म पर विजय के संदेश के साथ उत्साह, भक्ति और उल्लासपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ.