Shinjani Dance Ceremony: ‘शिंजनी नृत्य समारोह’: मेहा झा ने नृत्य मुद्राओं से दर्शाई द्रौपदी की विवशता और प्रतिशोध के भाव

Shinjani Dance Ceremony: ‘मैं राजवंशिनी कुल कीर्ति हूं, गांधारी हूं मैं कुंती हूं’ मेहा झा ने नृत्य मुद्राओं से दर्शाई द्रौपदी की विवशता और प्रतिशोध के भाव मुंबई के नरेन्द्र कृष्ण गंगानी की प्रस्तुति ने भी जमाया रंग जवाहर कला केन्द्र में आयोजित ‘शिंजनी नृत्य समारोह’ में दी प्रस्तुति युवा साधनारत कलाकारों की एकल और युगल प्रस्तुतियों ने भी बटोरी प्रशंसा

Shinjani Dance Ceremony: ‘शिंजनी नृत्य समारोह’: मेहा झा ने नृत्य मुद्राओं से दर्शाई द्रौपदी की विवशता और प्रतिशोध के भाव

Ananya soch: Shinjani Dance Ceremony

अनन्य सोच: Shinjani Dance Ceremony: आ खींच दुशासन चीर मेरा, हर ले मेरा सौंदर्य सजल। आ केश पकड़ कर खींच मुझे. अपना परिचय दे ऐ निर्बल। मैं राजवंशिनी कुल कीर्ति हूं, गांधारी हूं मैं कुंती हूं, अतुलित हूं मैं अभिमानी हूं, ना भूल अरि मैं रानी हूं ।। है अग्निकुण्ड मेरा उद्भव, मुखमण्डल का ये तेज देख.........

महाभारत काल में द्रौपदी के चीर हरण के समय उपजे कुछ ऐसे ही भावों से सराबोर थी लखनऊ घराने की नृत्यांगना मेहा झा की प्रस्तुति जिसका प्रदर्शन उन्होंने शनिवार को जवाहर कला केन्द्र में आयोजित ‘शिंजनी नृत्य समारोह’ के दौरान किया. मेहा झा कथक के  लखनऊ घराने की जानी-मानी नृत्य गुरू दिल्ली की रानी खानम की शिष्या हैं और जयपुर में कई बरसों से नृत्य के प्रदर्शन और प्रशिक्षण में संलग्न हैं.

मुद्रा एकेडमी ऑफ परफार्मिंग आर्ट्स के वार्षिक उत्सव में  मेहा झा ने द्रौपदी चीरहरण और चीरहरण के दौरान द्रौपदी द्वारा ली गई प्रतिज्ञा के भावों को इतने जीवंत अंदाज में अपने नृत्य में ढाला की कुछ देर को ऐसे लगा मानों महाभारत कालीन यह घटनाक्रम एक बार फिर साकार हो गया हो.

चीरहरण के दौरान द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण से गुहार लगाई और श्रीकृष्ण ने उनकी चीर की लंबाई इतनी बढ़ा दी कि दुःशासन के मनसूबे असफल हो गए. इसी समय द्रौपदी ने प्रतिज्ञा ली कि वे कौरवों के खून से अपने केश धोने के बाद ही उन्हें बांधेंगी.

मेहा ने अपनी प्रस्तुति में इन्हीं सब भावों को अपनी प्रभावी नृत्य मुद्राओं से साकार कर वहां मौजूद नृत्य प्रेमियों की आंखें नम कर दीं.

-आकर्षक रही नरेन्द्र कृष्ण गंगानी की प्रयोगधर्मी प्रस्तुति

समारोह में मुंबई से आए अतिथि कलाकार नरेंद्र कृष्ण गंगानी ने भी अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा. गंगानी ने कथक की अनेक विधाओं की अभिनव प्रयोगधर्मी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

-मेहा झा के निर्देशन में दी नृत्य की मनभावन प्रस्तुति

इसके बाद मुद्रा एकेडमी ऑफ परफार्मिंग आर्ट्स के साधनारत कलाकारों ने मेहा झा के निर्देशन में लखनऊ घराने के कथक की रंगबिरंगी प्रस्तुतियों ने सुधि दर्शकों को रोमांचित कर  दिया.

एकेडमी की छात्राओं फेमिना शर्मा एवं सुरभि सोनी ने कथक में तीन ताल में ठाठ,  उठान , परण , आमद तिहाई टुकड़े एवं गत निकास जुगलबंदी की नयनाभिराम प्रस्तुति से मन मोह लिया.

भगवान कृष्ण के भजन भजे बृजेश मंडलम के भक्ति रस  एवं नटखट स्वरूप मोहे छेड़ो ना नंद के लाला की प्रस्तुतियों ने दर्शकों  की जमकर तालियां बटोरी. मात्र 8 वर्ष के ईशान ग्रोवर के चपल तबला वादन ने दर्शकों को दांतों तले उंगलियां दबाने के लिए मजबूर कर दिया.

-इन कलाकारों ने की संगत


 
तबले पर संगत परमेश्वर लाल कथक, हारमोनीयम पर गायक भानू प्रसाद राव एवं सितार पर किशन कथक ने संगत की. समारोह का प्रारंभ सम्मानित अतिथियों संस्कृति कर्मी सुधीर माथुर , मांड गायक अली-गनी एवं महेश बुराडिया द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया. संचालन प्रणय भारद्वाज ने किया.