Talk show on politics and world cinema: राजनीति और वर्ल्ड सिनेमा पर आयोजित हुआ विशेष टॉक शो

Talk show on politics and world cinema: दुनिया की अधिकतम महान फिल्में राजनीति से जुड़ी हैं...अजीत राय जाने-माने फिल्म समीक्षक अजीत राय ने साझा किए विचार राजनीति और वर्ल्ड सिनेमा पर आयोजित हुआ विशेष टॉक शो जाने-माने फिल्म समीक्षक अजीत राय ने साझा किए विचार फिल्म समीक्षक अजीत राय ने कहा कि 140 करोड़ की आबादी वाले इस देश में एफटीआई जैसे संस्था में बहुत कम सीटें हैं. हिंदुस्तान की फिल्म मेकर आज भी वर्ल्ड लेबल पर ना के बराबर हैं. वर्ल्ड सिनेमा में पॉलिटिक्स पर बात करते हुए उन्होंने कई महान फिल्मों का जिक्र किया. उन्होंने कहा दूसरे विश्व युद्ध के बाद ऐसी कई फिल्में बनी जिनका प्रभाव आज भी मौजूद है. अमेरिका सिविल वॉर पर बनी फिल्म "द बर्थ ऑफ़ ए नेशन" काले-गोरों के संघर्ष पर बनी इस फिल्म के बाद अमेरिका के 16 से 10 राज्यों में दंगे भड़क गए थे. इसके अलावा "कलर्स ऑफ़ द फ्लावर मून" हिटलर पर चार्ली चैपलिन की "द ग्रेट डिक्टेटर" जैसी कई फिल्मों के बारे में श्रोताओं को बताया. 1989 में जब बर्लिन की दीवार गिरी और कई बड़े परिवर्तन हुए उस पर 2003 में एक कॉमेडी फिल्म "गुड बाय लेनिन" का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा दुनिया में जितनी भी महान फिल्में बनी है वो बिना पॉलिटिक्स के तो बन ही नहीं सकती थी. चाहे कला का कोई सा भी क्षेत्र हो राजनीति अपना असर डालती ही हैं . ऐसे ही एक बहुत बड़े चित्रकार पर फिल्म बनी "आफ्टर इमेज" का भी जिक्र छेड़ा.

Talk show on politics and world cinema:  राजनीति और वर्ल्ड सिनेमा पर आयोजित हुआ विशेष टॉक शो

Ananya soch: Talk show on politics and world cinema

अनन्य सोच, जयपुर। Talk show on politics and world cinema: सिनेमा इंडिया इंटरनेशनल ट्रस्ट की ओर से शनिवार को जयपुर में राजनीति और वर्ल्ड सिनेमा विषय पर विशेष टॉक आयोजित किया गया. झालाना स्थित ऑफिसर्स क्लब परिसर में आयोजित इस शो में देश के जाने-माने फिल्म समीक्षक अजीत राय ने इस विषय पर अपने विचार साझा किए. आर्कीटेक्ट संजय कोठारी ने विभिन्न सवालों के जरिए इस चर्चा का कुशल संचालन कर वार्ता को रोचक बना दिया. टॉक शो का संयोजन मुंबई में रहकर कार्य कर रहे जयपुर के आर्कीटेक्ट और संस्कृतिकर्मी अक्षत पांडे ने किया.

इस मौके पर  संजय कोठारी ने अजीत राय के परिचय के साथ-साथ उनके स्वभाव पर बात करते हुए कहा कि फकीरी स्वभाव के हैं अजित राय यह अक्सर वही कहते हैं जो महसूस करते हैं. तालिबान की फिल्म जो की सिद्धीक बर्मन के डायरेक्शन में बनी"ओसामा" और कंबोडिया की फिल्म "द मिसिंग पिक्चर" जैसी फिल्मों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा की धार्मिक कट्टरता पर भी ऐसी कई फिल्में बनी है जो आज भी अपना असर छोड़ती हैं. ऐसी फिल्मों को देखकर आज भी रूह कांप जाती हैं.

असल में यह वो फिल्में है जो लंबे समय बाद समाज पर अपना असर छोड़ती हैं. इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध पार्श्व गायक उद्भव ओझा भी खुद के कंपोज़ किए और गाए कई सुपर हिट गीतों की प्रस्तुति देने वाले थे लेकिन एन वक्त पर आए वायरल की वजह से वो मुंबई से रवाना नहीं हो पाए. गौरतलब है कि अजीत राय भारतीय फिल्म और रंगमंच समीक्षक हैं. वो जनसत्ता और इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े हुए हैं. उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की पत्रिका रंग प्रसंग के संपादक के रूप में कार्य किया है. अजीत बरसों से कान्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, एल गौना फिल्म फैस्टिवल और काहिरा इंटरनेशनल फिल्म फैस्टिवल जैसे विभिन्न अन्तरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों को कवर करते रहे हैं. वो रायपुर फिल्म फैस्टिवल, आजमगढ़ फिल्म फैस्टिवल और हरियाणा फिल्म फैस्टिवल के निदेशक हैं। राय मेटा अवार्ड्स के लिए चयन समिति के सदस्य भी हैं.