देवता तो कई है लेकिन राम जैसा कोई नहीं, राम जैसा काई राजा, त्यागी, स्वामी, दानी नहीं है: रामभद्राचार्य महाराज
भगवान श्री राम ने ताड़क से कहा है, संतो को मारने वाले को मारना भी मेरा धर्म है: रामभद्राचार्य महाराज
Ananya soch
अनन्य सोच। जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित श्री राम कथा के पांचवें दिन सोमवार को कथावाचक जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने ताड़का वध और राम विवाह की लीला का प्रसंग सुनाया। कथा में शामिल होने संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल भी पहुंचे। कथा के बाद भजन संध्या का आयोजन हुआ। जिसमें प्रसिद्ध भजन गायक लखबीर सिंह लक्खा समेत मुंबई और कोलकाता के गायकों ने भजनों की प्रस्तुतियां दी.
जब रामलला को ला सकते है, तो मथुरा, काशी और ज्ञानवापी भी लाकर दिखाएंगे..
रामभद्राचार्य महाराज ने कहा- मेरे से कुछ भूल हो जाती है वो बाद में हानिकारक हो जाती है। मैं कठोर कहने में बदनाम हूं। लेकिन फिर भी मैं तो कहूंगा। किसी भी संत को निराश होने की आवश्यकता नहीं है। जब रामलला को ला सकते है, तो मथुरा और काशी के ज्ञानवापी को भी लाकर दिखाएंगे। राष्ट्र की चिंता एक संत ही कर सकता है, परिवार वाला भक्त नहीं। रेवासा पीठ की दुर्दशा नहीं होने देंगे। रेवासा में जो हुआ वो परंपरा के विरूद्ध है।
इस बार कुंभ में हम कुछ ऐसा करेंगे कि विश्व के नक्शे से पाकिस्तान का नामो-निशान मिट जाएगा...
यह देश गांधी परिवार का नहीं है। यह राष्ट्र हमारा है। सनातनियों का है, विधर्मियों का नहीं है। इस बार कुंभ में हम कुछ ऐसा करेंगे कि विश्व के नक्शे से पाकिस्तान का नामो-निशान मिट जाएगा। जिनके चरणों में बैठकर राष्ट्रीय समस्या का अंत हो जाता है वो संतो है।
भारत में गो हत्या बंद करवा कर रहेंगे...
चित्रकूट धाम में मैं 6 दिसंबर को संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना करूंगा। सभी को आकर देखना चाहिए की देश की संस्कृति कैसे स्थापित की जाती है। अब सांस्कृतिक आंदोलन होकर रहेगा। भारत में गो हत्या बंद करवा कर रहेंगे। हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाएंगे। अब हम सत्ता परिवर्तन नहीं चाहते। हमारे प्रधानमंत्री के तौर पर चौथी बार नरेंद्र मोदी ही बने। ऐसी मेरी इच्छा है।
जयपुर से लगाव सा हाे गया है...
उन्होंने कहा- जयपुर से लगाव सा हाे गया है। मैं जयपुर 2003 में आया था इसके बाद 21 सालों तक नहीं आया। इसका मुझे खेद है। अब मैं वचन देता हूं कि प्रत्येक वर्ष छोटी काशी आउंगा।
*श्रीराम कथा के पांचवें दिन ताड़का वध प्रसंग सुनाया...*
रामभद्राचार्य महाराज ने कथा में कहा- भगवान राम जब विश्वामित्र के साथ अयोध्या से वन के लिए गए। इस दौरान उन्होंने ताड़का का वध किया। उससे पहले ताड़का ने श्रीराम के सामने कई महिमा मंडन किए। इस पर श्री राम ने ताड़क से कहा- संतो को मारने वाले को मारना भी मेरा धर्म है। उन्होंने कहा- देवता तो कई है लेकिन राम जैसा कोई नहीं। राम जैसा काई राजा, त्यागी, स्वामी, दानी नहीं है।
राजे भी देखे महाराजे भी देखे मेरे राम जैसा कोई राजा न देखा सुनाया नहीं...
इसके अलावा महाराज ने लक्ष्मण परशुराम संवाद, सीता राम जी के विवाह का प्रसंग सुनाया। इसके साथ ही कथा के पांचवें दिन का समापन हुआ। रामभद्राचार्य ने इस दौरान अपने प्रसिद्ध भजन " राजे भी देखे महाराजे भी देखे मेरे राम जैसा कोई राजा न देखा सुनाया नहीं'..., पर भक्तों ने खूब भक्ति भाव नृत्य किया। कल केवट की कथा होगी एवं सभी श्रोताओं को चरणामृत वितरित किया जाएगा।
इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक राजन शर्मा व अनिल संत ने बताया कि कथा में श्री बालाजी गौशाला संस्थान के अध्यक्ष रवि शंकर पुजारी, विधायक बालमुकुंडाचार्य, मंगलम ग्रुप के एन के गुप्ता, मदन अग्रवाल, मणिशंकर गोयल, विनोद गोयल ,राजेंद्र अग्रवाल, रामबाबू अग्रवाल मुकेश गोयल, भैरव ग्रुप से आलोक अग्रवाल, सुखलाल जैसनसरिया, जय श्री ज्वेलर्स अवंत जैन, रामावतार खंडेलवाल अंबर विला, बबलू पुजारी उज्जैन महाकाल प्रमुख, ओम प्रकाश पुजारी सालासर, प्रताप सिंह चौहान खाटू श्याम प्रमुख, जोगाराम पटेल संसदीय कार्य मंत्री, आर.ए.एस. पंकज ओझा सहित कई समाज सेवी उपस्थित रहे।