रामायण- महाभारत पर आधारित हुआ अनूठा कवि सम्मेलन
अनन्य सोच, जयपुर। अखिल भारतीय माघ महोत्सव- 2023 के अंतर्गत राजस्थान संस्कृत अकादमी , कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा रामायण- महाभारत के पात्रों पर आधारित एक अनूठा कवि सम्मेलन आयोजित किया गया । इस अवसर पर संस्कृत के प्रख्यात कवि डॉ कौशल तिवारी ने स्त्री विमर्श को नए स्वरूप में परिभाषित करते हुए द्रौपदी के पात्र के माध्यम से कहा
द्रुपद-आत्मजा मैं
दूँ किसे धिक्कार
उन्हें जो हैं
यूँ तो मेरे पिता
किन्तु
प्रयुक्त किया जिन्होंने मुझे
लेने को अपना प्रतिशोध
(पिताश्री मैं तो चाहती थी
आपका अहेतुक स्नेह )
या दूँ धिक्कार
गांडीव-धारी अर्जुन को
जीता जिसने मुझे
कर लक्ष्य-वेध
और खड़ा रहा वह
नपुंसक की भांति
मेरे वितरण-काल में
(वृहन्नल्ला के रूप में
शापित हुए क्या इसीलिए तुम )
राम को समरसता-सौहार्द का प्रतीक बताते हुए वरिष्ठ कवि इकराम राजस्थानी ने कहा, 'जुड़ा इस देश की माटी से मेरा नाम रहता है, यह धरती राम की है, यहां इकराम' रहता हैं।
मोटिवेशनल स्पीकर और युवा कवि कृष्णपाद दास ने बात को आगे बढ़ाते हुए पाखण्ड पर व्यंग्यात्मक प्रहार करते हुए कहा कि
कहते हैं लोग वह राम के भरोसे हैं
राम के भरोसे पर जीने वाले कम हैं
क्लब में बार में जाम रस पी रहे है
राम नाम रस को पीने वाले कम है
कर्तव्य बोध और आचरण की महिमा को बताते हुए वरिष्ठ कवि शिवचरण शर्मा ने कहा जब हो जीवन में अंधियारा और हो पथ विकट अपार कर्तव्य बोध का हो उजियारा राम की भांति करो व्यवहार
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ संस्कृत कवि तारा शंकर पांडेय ने महाकवि माघ को राजस्थानी भाषा में महिमामंडित करते हुए अपनी पंक्तियां पढ़ी
एक गोपी हिय प्रेम है
वृत्त बधै एक घाघ
रचै भलो शिशुपालवध
माधव मघवा माघ
इसी प्रकार डॉ हरि सिंह राजपुरोहित ने भी युवा पीढ़ी द्वारा भगवान राम के चरित्र को अनुकरणीय बताया । कार्यक्रम का शुभारंभ अकादमी की अध्यक्ष डॉ सरोज कोचर, पूर्व निदेशक संस्कृत शिक्षा सुरेंद्र कुमार शर्मा और कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति तारा शंकर पांडेय ने दीप प्रज्वलित कर किया । हाइब्रिड मोड पर आधारित इस कार्यक्रम का दूरदर्शन पर भी प्रसारण किया गया ।