अभिनय अपने आप में एक बहुत बड़ा अनुशासन हैं - जयरूप जीवन
राजस्थान फोरम की डेजर्ट स्टॉर्म सीरीज़ में रूबरू हुए अभिनेता जयरूप जीवन
अविनाश पाराशर
अशोक राही ने विभिन्न रोचक सवालों के जरिए जयरुप के अभिनय सफर से सबको रूबरू करवाया
अनन्य सोच, जयपुर। राजस्थान फोरम की डेजर्ट स्टॉर्म सीरीज़ में मुंबई में रहकर अभिनेता, लेखक और निर्देशक रूप में अपनी पहचान बनाने वाले राजस्थान के जयरूप जीवन कला प्रेमियों से रूबरू हुए। अभिनय में अपने सफर को बताते हुए जयरूप जीवन ने कहा कि बचपन में कभी सोचा नहीं था इस फील्ड में आने का, 1972 में एक दोस्त के कहने पर थिएटर की वर्कशॉप जॉइन की। कॉलेज और स्कूल में मैं हमेशा बैक बेंच पर ही रहा, ना मुझे किसी अध्यापक में दिलचस्पी और ना किसी अध्यापक को मुझ में दिलचस्पी। पर जब पहली ही थिएटर की वर्कशॉप जॉइन की तो हर बार की तरह मैं सबसे पीछे ही बैठा था। वो क्लास एस.वासुदेव ले रहे थे। उन्होंने सबसे पहला सवाल मुझे से पूछा तब मुझे न जाने क्यों लगा हां यही वह जगह है जहां रहकर मुझे कुछ सीखना है। उसके बाद एन एच डी में जाकर अपने आप को और तराशा। द्वितीय वर्ष से लिखना भी शुरू कर दिया था। अभिनय से जुड़े कई दिलचस्प किस्सों को बताते हुए जयरूप ने बताया कि कैसे चाणक्य का वो मजेदार किरदार उन्हें मिला। डॉ चंद्रप्रकाश अक्सर उनकी रिहर्सल को देखने आया करते थे। उन्होंने ही इस किरदार के लिए मुझे चुन लिया। जाने-माने डायरेक्टर शेखर कपूर के साथ काम करते हुए भी बहुत कुछ सीखा। जयरूप जी बताते हैं की अभिनय अपने आप में एक अनुशासन हैं, जो धीरे-धीरे आपके अंदर के कलाकार को मांझता चला जाता हैं। नसीर के एक इंटरव्यू को पढ़कर सीखा अभिनय कोई गणित नहीं है जिसे पढ़कर सीखा जा सकता हैं असल में उसे उतारना होता है अपने भीतर तक। इस मौके पर शहर के कई गणमान्य व्यक्ति, कलाकार और कला प्रेमी भी मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरूआत में राजस्थान फोरम की कार्यकारी सचिव अपरा कुच्छल ने अतिथियों और कलाकार का अभिनंदन करते हुए डेजर्ट स्टॉर्म श्रंखला की जानकारी दी। इस मौके पर राजस्थान फोरम के सदस्य पद्मश्री तिलक गितई मधु भट्ट तैलंग और प्रेरणा श्रीमाली मौजूद थे। अन्त में फोरम की ओर से मधु भट्ट तैलंग और प्रेरणा श्रीमाली ने स्मृति चिन्ह देकर जयरूप जीवन को सम्मानित किया।