Jaipur Photojournalism Seminar: डीपफेक टेक्नोलोजी है वर्तमान दौर में फोटोजर्नलिज्म की एक गंभीर चुनौती

Jaipur Photojournalism Seminar

Jaipur Photojournalism Seminar: डीपफेक टेक्नोलोजी है वर्तमान दौर में फोटोजर्नलिज्म की एक गंभीर चुनौती

Ananya soch: Jaipur Photojournalism Seminar

अनन्य सोच, जयपुर। Jaipur Photojournalism Seminar: फोटोजर्नलिज़्म के क्षेत्र में युवाओं को प्रबुद्ध करने के उद्देश्य से इमेजिन फोटोजर्नलिस्ट सोसाइटी (Imagine Photojournalist Society) द्वारा जयपुर स्थित राजस्थान इंटरनेशनल सेन्टर में एक दिवसीय जयपुर फोटोजर्नलिज्म सेमिनार (Jaipur Photojournalism Seminar) का नवां संस्करण आयोजित हुआ.  सेमिनार में फोटोजर्नलिस्ट एवं पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने वर्तमान दौर में पत्रकारिता क्षेत्र में बदलते परिदृश्यों पर अपने विचार विद्यार्थियों के साथ साझा किए. सेमिनार में सतीश पूनिया, अयोध्या प्रसाद गौड़, अजय उमट, रोहित परिहार, पुरूषोत्तम दिवाकर, लीला दिवाकर, हेमजीत मालू, गौतम कुमावत, अंशुमन शास्त्री और नितिन जगड शामिल हुए. इस अवसर पर सतीश पूनिया ने कहा कि फोटोजर्नलिस्ट किसी कमांडो से कम नहीं है.

कोरोना महामारी जैसे अन्य गंभीर एवं जोखिम भरे हालात में भी फोटोजर्नलिस्ट पूरे जुनून के साथ खड़ा रहता है. उन्होंने कहा कि समाज और देश को फोटोजर्नलिस्ट की जरूरत सदैवी रहेगी. नयी पीढ़ी को चाहिए की वे इस क्षेत्र में नवाचार करें जो उनकी ताकत बनेगी. अजय उमट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का उदाहरण देते हुए ब्रांड मोदी में फोटोग्राफी के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि पत्रकारिता क्षेत्र में आम जन को जोड़ना एवं भागीदार बनाना चाहिए. उन्होंने फोटोजर्नलिज्म क्षेत्र में उभरती हुई डीपफेक टेक्नोलोजी पर चिंता जाहिर की. अयोध्या प्रसाद गौड़ ने सेमिनार में बड़ी संख्या में शामिल युवा महिला प्रतिभागियों और कैमरा कमांडोज् के विडियो क्लिप पर कहा कि भारत को महाशक्ति बनते हुए देखना है तो महिलाशक्ति को आगे बढ़ाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मशीन कभी झुठ नहीं बोलती और इसलिए डीफफेक जैसी टेक्नाॅलाॅजी का समाधान भी एआई में ही निहित है. रोहित परिहार ने कहा कि फोटोजर्नलिस्ट का कार्य रियलिस्टिक होता है वह स्टोरी एलिमेंट को कभी भी मेनुप्लेट नहीं करता. उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान दौर में जर्नलिज्म में एआई के उपयोग के स्थान पर रिसर्च पर जोर दिया. पुरूषोत्तम दिवाकर ने सेमिनार की थीम द रियल थ्रिल ऑफ फोटोजर्नलिज्म के बारे में बताते हुए कहा कि किसी घटना की वास्तविक फोटो लेने के लिए जैसे इंडियन बाॅर्डर अथवा ऐसी ही किसी अन्य चुनौतीपूर्ण जगहों पर जा कर फोटोग्राफी में जो थ्रिल होता है. वह रोमांच एआई के उपयोग से फोटो जेनरेट करने में नहीं मिलता.  गौतम कुमावत ने एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से फोटोजर्नलिज्म में एआई के फायदों एवं नुकसान पर प्रकाश डालते हुए डीपफेक टेक्नोलाॅजी से उभरती हुई चुनौतियों के बारे में बताया. हेमजीत मालू ने कहा कि फोटोजर्नलिस्ट बनने से पूर्व अच्छे इंसान बनने पर जोर दिया. लीला दिवाकर द्वारा धन्यवाद् ज्ञापित करने के साथ सेमिनार का समापन हुआ. सेमीनार के दौरान अतिथियों को सम्मानित किया गया और कैमरा कमांडो की डिजिटल मैग्जीन ‘जीने का अंदाज'का विमोचन हुआ.