"पार्क" नाटक का मंचन
Ananya soch
अनन्य सोच। नाटक " पार्क" का मंचन रवीन्द्र मंच के मिनी सभागार में गुरुवार को किया गया. नाटक का निर्देशन मध्यप्रदेश नाट्य विधालय से स्नातक दिनेश कुमार ने किया था.
नाटक पार्क तीन अनजान लोगों की बातचीत पर आधारित है. पहले व्यक्ति का नाम उदय है, जो अपनी एक बीमारी की वजह से खुद को जीनियस समझता है. दूसरा व्यक्ति, नवाज़, पार्क में अपने मंदबुद्धि बेटे के रिजल्ट का इंतज़ार कर रहा है और पार्क में सोना चाहता है. तीसरा व्यक्ति, मदन, एक अध्यापक है जो अपने छात्र- छात्राओं के बीच गब्बर सिंह के रूप में प्रसिद्ध है और पार्क में अपने ही स्कूल की एक अध्यापिका को बाल सुखाते हुए देखने आता है, जो उसके अनुसार उसे विशेष महसूस करवाता है. नाटक में मुख्य बहस एक बेंच पर बैठने को लेकर है, जिसपर उदय बैठा हुआ है. मदन के लिए वो बेंच बहुत खास है क्योंकि उसी बेंच पर बैठकर देखने से वो गणित की अध्यापिका को देख सकता है. नाटक की शुरुआत बेंच की जगह पर बैठने को लेकर होती है, लेकिन धीरे-धीरे नाटक में "जगह के स्वामित्व और जगह से उठा दिए जाने" से संबंधित सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों का ज़िक्र उदाहरणार्थ आता है. नाटक में कश्मीर, आदिवासियों के विस्थापन और नक्सलवाद जैसे मुद्दों को रेखांकित किया जाता है. एक साधारण सी स्थिति के माध्यम से लेखक ने बहुत संजीदा मुद्दों को रेखांकित किया है.
नाटक में मुख्य भूमिकाएं समीर सिंह राजपूत, देवांश शर्मा और दीपक जाँगिड़ ने निभाई.