artist work:कनाडा से जयपुर की इंदु वर्मा कैनवास पर लेकर आईं वहां के खूबसूरत नजारे

artist work:कनाडा से जयपुर की इंदु वर्मा कैनवास पर लेकर आईं वहां के खूबसूरत नजारे

ananya soch: artist work

अनन्य सोच। artist work: कनाडा में पिछले करीब पचपन साल से रह रहीं जयपुर की इंदू वर्मा भले ही वहां की हो गई हों लेकिन उनके दिल में अभी गुलाबी नगर और यहां रहने वाले उनके रिश्तेदारों के प्रति प्रेम का सागर हिलोरें लेता है. उम्र के पिचहत्तर बसंत देख चुकीं इंदु दूसरी बार अपने होम टाउन के कला प्रेमियों से रूबरू होने आई हैं. इससे पहले वो वर्ष 2019 में जब पहली बार यहां आईं थीं उस समय अपने 12 कैनेडियन लैंडस्कैप्स और 12 ब्लैक एंड व्हाइट प्रिंन्ट्स के साथ यहां आईं थीं और यहां की कलानेरी आर्ट गैलरी (Kalaneri Art Gallery) में उन्हें प्रदर्शित किया था. अब पांच साल बाद वो इसी Kalaneri Art Gallery में अपनी 13 पेंटिंग्स के साथ शनिवार को एक बार फिर से शहर के कलाकारों और कला प्रेमियों से रूबरू हुईं तो परिसर कनाडा के खूबसूरत प्राकृतिक नजारों से जीवंत हो उठा.

एग्जीबिशन का उद्घाटन भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (Bhagwan Mahavir Handicapped Assistance Committee) के फाउंडर पद्मभूषण डी.आर. मेहता, राज्य सरकार की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह, राजस्थान मैडिकल यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर डॉ. सुधीर भंडारी तथा कलानेरी आर्ट गैलरी की निदेशक सौम्या विजय शर्मा ने किया.

पेंटिंग्स में दिखा कनाडा का प्राकृतिक सौंन्दर्य

यहां प्रदर्शित उनकी पेंटिंग्स में कनाडा की खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यावली देखने योग्य है. इस दृश्यावली में कनाडा के प्राचीन कैटटेल्स के पौधे, वहां की मार्श ग्रास, बर्च ट्रीज़, ब्लू हेरोन्स के पौधों के अलावा सैंडपाइपर्स का सौन्दर्य देखने योग्य है. सैंडपाइपर एक खूबसूरत पक्षी है जिसे भारतीय भाषा में टिटहरी कहा जाता है. ये पक्षी जब एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए प्रस्थान करता है तो हजारों की संख्या में समूह बनाकर उड़ता है जिसकी वजह से आसमान में अद्भुत आकृति बन जाती है. इंदू ने इस पक्षी को एकल रूप में और आसमान में अपने समूह के साथ परवाज भरते हुए भी चित्रित किया है. सभी पेंटिंग्स मिक्स मीडिया में बनाई गई हैं जिनमें वॉटर कलर के साथ ड्राइंग, एक्रेलिक रंग और इंक का प्रयोग किया गया है.

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अनूठी है इंदू की जिजिविषा

इंदू वर्मा की जिजिविषा भी अनूठी है. साठ साल की उम्र तक कनाडा में शिक्षिका के रूप में काम करने के बाद इंदू के भीतर छिपी कलात्मक अभिव्यक्ति ने अंगड़ाई ली और उन्होंने 63 की उम्र में विजुअल आर्ट में डिग्री करने की ठानी. 67 साल की उम्र में डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने सिरेमिक आर्ट में काम करना शुरू किया और इस माध्यम से 52 मुखौटे और पेंटिंग्स बना डालीं.

डिग्री के लिए सीखी फ्रेंच

इंदू ने बताया कि जिस यूनिवर्सिटी से उन्होंने विजुअल आर्ट की डिग्री हासिल की वहां पढ़ाई का माध्यम फ्रेंच भाषा था और उन्हें फ्रेंच नहीं आती थी लेकिन यूनिवर्सिटी का स्तर देखते हुए उन्होंने पहले फ्रेंच भाषा सीखी और उसके बाद यहां दाखिया लिया. इंदू ने कॉलेज स्तर की शिक्षा जयपुर के महारानी कॉलेज से हासिल की. वो जब जयपुर से लॉ कर रही थीं इसी बीच उनका विवाह हो गया और वो कनाडा जाकर बस गईं। वहां उन्होंने बी.एड और एम.एड की शिक्षा हासिल की.

पेंटिंग्स से होने वाली आय को करेंगी डोनेट

उन्होंने बताया कि इस एग्जीबिशन में पेंटिंग्स की बिक्री से होने वाली आय को वो भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति को डोेनेट करेंगी. एग्जीबिशन 30 जनवरी तक चलेगी.