Janmanas Ke Ram: देशभर के कलाकारों ने "जनमानस के राम" में कैनवास पर उकेरे आस्था के भाव

Janmanas Ke Ram: आर्ट फिएस्टा, मैत्रेय संस्थान और यज्ञ फाउंडेशन की और से आयोजित कार्यक्रम का आज जेकेके स्थित सुरेख कला दीर्घा में होगा समापन

Janmanas Ke Ram: देशभर के कलाकारों ने "जनमानस के राम" में कैनवास पर उकेरे आस्था के भाव

Ananya soch: Janmanas Ke Ram

अनन्य सोच। बिड़ला मंदिर के प्रांगण में देशभर के आर्टिस्ट्स ने जब कूंची से कैनवास पर स्केच खींचना शुरू किए तो भगवान राम के विभिन्न रूप प्रकट हुए. कलाकारों ने कैनवास पर वाइब्रेंट रंगो के साथ-साथ प्रभु राम के प्रति अपने भावों को भी उकेरा. अयोध्या में प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद संपूर्ण भारतवर्ष के जनमानस के उत्साह को कलाकारों ने कैनवास पर समेटने की कोशिश की. अवसर रहा यज्ञ फाउंडेशन, आर्ट फिएस्टा और मैत्रेय संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम "जनमानस के राम" का। संरक्षक गोविंद पारीक, आचार्या हिमानी शास्त्री ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा, सांसद रामचरण बोहरा, विधायक बालमुकुंद आचार्य, डीजी लाॅ इन ऑर्डर राजीव शर्मा, आईजी गौरव श्रीवास्तव, संघ प्रचारक मूलचंद, सुरेश मिश्रा और डॉ. सुनील ढंड रहे. आर्ट फिएस्टा के रमाकांत खंडेलवाल, कार्यक्रम संयोजक गौरव गुर्जर और राजेश सैनी ने बताया कि लाॅर्ड राम के स्वरूप को देशभर के टॉप आर्टिस्ट्स ने दो दिनों तक मंदिर में रहकर बनाया. इन लाइव पेंटिंग्स को जवाहर कला केंद्र की सुरेख आर्ट गैलरी में रविवार को प्रदर्शित किया जाएगा। इस दौरान कोई भी भक्त या कला प्रेमी आकर उनको देख सकेंगे. 

-राम और रावण को कलाकार की कूंची ने शिव भक्ति से जोड़ा

रामायण मर्यादा पुरुषोत्तम राम और प्रखर विद्वान रावण के चरित्र के इर्द-गिर्द ही घूमती है. दोनों में अनेक विषमता होते हुए भी एक डोर थी जो उन्हें जोड़े हुई थी।

वे दोनों शिव के परम भक्त थे. आर्टिस्ट पवन टांक ने राम के सौम्या और रावण के क्रोधित रूप के मध्य शिवलिंग दर्शाते हुए दोनों की भक्ति रस को जोड़ने की कोशिश की. डॉ. संजीव नामा ने राम के द्वारा शबरी के झूठे बेर खाने के दृश्य को पुनर्जीवित किया. पश्चिम बंगाल के नेशनल अवार्डी मनोज दास ने "जनमानस के राम" कार्यक्रम में भाग लेने से पहले अयोध्या का 4 बार दौरा किया. उन्होंने तरुण अवस्था में आसमान से पृथ्वी पर उतरती हुई श्री राम की प्रतिमा को रंगों के कैनवास पर उकेरा. कलाकारों ने बालक राम से लेकर रामायण काल तक के स्वरूपों को कूंची से अभिव्यक्त किया. इस कड़ी में नीलू कांवरिया ने बालक राम के विग्रह में अपने आस्था व भाव को दर्शाया। बिहार स्थित दरभंगा के संतोष साहनी ने कैनवास पर मिथला व अयोध्या के संबंधों को अभिव्यक्त किया। गौरतलब है कि मिथला प्रदेश भगवान राम का ससुराल है. शीला पुरोहित ने बताया कि मेरी बड़ी नानी जिसे हम भाभू कहते थे, उनका संपूर्ण जीवन अयोध्या में ही गुजरा. वह अयोध्या को अजोध्या कहती थी. मैं उनसे ही प्रेरित होकर "पधारे मेरी बाबू के राम जी" का चित्रण किया. 

-ये कलाकार हुए शामिल

संरक्षक गोविंद पारीक और कार्यक्रम संयोजक गौरव गुर्जर ने बताया कि देशभर से आए 25 आर्टिस्ट्स ने कार्यक्रम में भाग लिया. इसमें मनोज दास, सन्त कुमार विश्नोई, शशिकांत झा, दीपेन जोशी, महेश राज, सुनील कुमार जांगिड़, विजय वर्मा, विवेक प्रकाश उतरेजा, दीपाली शर्मा, शानू गुप्ता, खुश नारायण जांगिड़, अमित कुमार अंशु, छवि शर्मा, पवन टांक, रेखा अग्रवाल, संदीप रावल, रमाकांत खंडेलवाल, वीरेन बन्नू, श्याम सुंदर शर्मा, डॉ. संजीव नामा, कलावत के एल, सन्तोष साहनी, रजनी किरण झा, दुर्गेश अटल और सुधा घेवरिया ने लाइव पेंटिंग बनाई.