धरती साहित्य री...जोधपुर में 25 से 27 मार्च को होगा राजस्थान साहित्य उत्सव

साहित्य कुंभ: कवि सम्मेलन, मुशायरा, राजस्थानी काव्य पाठ समेत विभिन्न आयोजन कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने किया लोगो का विमोचन

अनन्य सोच, जयपुर। अपने गौरवशाली इतिहास और रंग—बिरंगी संस्कृति के साथ विश्व पटल पर विशेष पहचान बनाने वाला राजस्थान साहित्यिक रूप से बेहद समृद्ध है। यह वृहद साहित्यिक वट वृक्ष यूं ही फलता—फूलता रहे और युवा पीढ़ी भी इसकी छांव में साहित्यिक साधना कर सके इसके लिए राजस्थान सरकार प्रयासरत है। इसी कड़ी में  बड़ा कदम उठाते हुए माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा वर्ष 2019—20 के क्रियान्वयन के आलोक में राजस्थान साहित्य उत्सव: साहित्य कुम्भ—2023 (राजस्थान लिटरेचर फेस्टिवल) का आयोजन जोधपुर स्थित जनाना बाग में 25, 26 एवं 27 मार्च, 2023 को किया जा रहा है। राजस्थान साहित्य उत्सव के आयोजन का मुख्य उद्देश्य राज्य की समृद्ध साहित्यिक परम्परा को नई पीढ़ी से अवगत कराने के साथ ही राजस्थान के साहित्यिक अवदान को वैश्विक पटल पर स्थापित करने वाले साहित्यकारों पर एक सार्थक चर्चा और विमर्श के साथ नये और युवा साहित्यकारों को एक प्रभावी और सशक्त मंच उपलब्ध करवाना है। जवाहर कला केंद्र में शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता में कला एवं संस्कृति विभाग मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने यह जानकारी दी। इस दौरान गायत्री राठौड़, प्रमुख शासन सचिव, कला एवं संस्कृति विभाग सह महानिदेशक जवाहर कला केंद्र, प्रियंका जोधावत, अति. महानिदेशक जेकेके व सभी अकादमियों के पदाधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान डॉ. कल्ला ने राजस्थान साहित्य उत्सव के लोगो का विमोचन भी किया। 

डॉ. बी. डी. कल्ला ने बताया कि 'साहित्य कुंभ' में कवि सम्मेलन, मुशायरा, राजस्थानी काव्यपाठ समेत विभिन्न साहित्यिक व सांस्कृति आयोजन किए जाएंगे। इसमें पुस्तक मेला, हस्तशिल्प मेला और खान—पान स्टॉल्स की भी व्यवस्था रहेगी। अंतिम दिन भव्य सांस्कृतिक समागम के साथ कार्यक्रम का समापन होगा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने अपनी बजट घोषणा 2023—24 में साहित्यकारों को प्रोत्साहन के लिये राज्य के चार साहित्यिक मनीषियों इनमें सर्वश्री कन्हैया लाल सेठिया, कोमल कोठारी, सीताराम लालस एवं विजय दान देथा के नाम से 4 अखिल भारतीय पुरस्कार प्रारम्भ करने की घोषणा की है, जिसे अतिशीघ्र क्रियान्वित किया जा रहा है।

गौरतलब है कि राजस्थान की साहित्यिक परम्परा में जहॉं एक ओर मीरा, सूर्यमल्ल मिश्रण, बॉंकीदास, नरहरिदास बारहठ, शिवचन्द भतिया (राजस्थानी भाषा के पहले उपन्यास लेखक), सीताराम लालस, विजयदान देथा, कन्हैयालाल सेठिया जैसे साहित्य मनीषी ​वैश्विक साहित्यिक परम्परा के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं। वहीं दूसरी ओर हिन्दी में चन्द वरदाई, लज्जाराम मेहता, विजय सिंह पथिक, रांगेय राघव, यादवेन्द्र शर्मा (चन्द्र) जैसे विद्वानों ने हिन्दी लेखन में नये प्रतिमान स्थापित कर एक कीर्तिमान बनाया है। 

साहित्यकारों को मिलेगा सशक्त मंच: डॉ. बी. डी. कल्ला

राजस्थान साहित्य उत्सव प्रदेश की संस्कृति, साहित्य व पर्यटन को बढ़ावा देने में बड़ा योगदान निभाएगा। माननीय मुख्यमंत्री का विचार है कि प्रदेश के युवा साहित्यकारों को सशक्त मंच मिले व साहित्य को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यक्रम में राज्य व राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध साहित्यकारों, कवियों व शायरों को आमंत्रित किया गया है।   

प्रदेश की पहचान बनेगा राजस्थान साहित्य उत्सव: गायत्री राठौड़

गायत्री राठौड़ ने कहा कि राजस्थान की साहित्यिक पहचान को और मजबूत करने और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में राजस्थान साहित्य उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। कला एवं संस्कृति विभाग का प्रयास रहेगा कि राजस्थान साहित्य अकादमी, उर्दू अकादमी, संस्कृत अकादमी, नेहरू बाल साहित्य अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी समेत सभी अकादमियां व प्रदेशवासी मिलकर आयोजन को सफल बनाएंगे। आशा है कि यह कार्यक्रम भविष्य में राजस्थान की पहचान बनकर उभरेगा।