इंस्टालेशंस , स्कल्पचर्स और पेंटिंग्स में दिखा शहर का टैलेंट

शहर के आर्टिस्ट मनीष शर्मा की दिल्ली में लगी सोलो एग्जीबिशन

इंस्टालेशंस , स्कल्पचर्स और पेंटिंग्स में दिखा शहर का टैलेंट

अनन्य सोच, जयपुर। इन दिनों जयपुर के आर्टिस्ट मनीष शर्मा के इंस्टालेशंस , स्कल्पचर्स और पेंटिंग्स की सोलो एग्जीबिशन दिल्ली की आर्ट सेंट्रिक्स स्पेस आर्ट गैलरी  में चल रही है। मॉडर्न फेटिश शीर्षक से प्रदर्शित मनीष शर्मा की इस प्रदर्शनी में अपने अतीत की याद है जो कि जीवन में होप (उम्मीद) को दर्शाती है।

इस पूरी प्रदर्शनी में बादल केंद्रीय विषय है जो कि आकाँक्षा और स्वप्न के प्रतीकरूप में विरचित है। यह क्षणभंगुर क्षण के लिए एक रूपक है, ठीक वैसे ही जैसे बहती यादें...या सपने हो सकते हैं। बारिश के देवताओं को खुश करने के लिए शहर में घरों के अग्रभाग, आले, झरोखों के पास बादल का चित्रण सामन्यतः देखने को मिल जाता था। मनीष शर्मा इस कल्पना को अपने बचपन की याद में ताजा करते हैं। वह अतीत जो अब अस्तित्व में नहीं है और वर्तमान उससे जुड़ा हुआ लगता है। 
मनीष शर्मा का जन्म राजस्थान के सीमावर्ती शहर बीकानेर में हुआ था, इस शहर के तेजी से विकास और शहरीकरण की प्रक्रिया में उन्होंने कुछ प्रतीकों को मिटते हुए, वास्तुकला को बदलते हुए, और रीति-रिवाजों को लुप्त होते देखा है। उनकी रचनाएँ अपने दर्शकों को हमारी संस्कृति पर बीती बर्बरता के बारे में बताती हैं। जो कभी शहर की समृद्ध संस्कृति थी आज उसकी यादें इस कला प्रदर्शनी में दिखाई देती है। मनीष शर्मा की प्रदर्शनी में दिखाई गई कलाकृतियों में प्रस्तुत करने के तरीके में नए के साथ पुराने का जुड़ाव है। 
प्राचीन वैभव और राजसी हवेलियों से जुड़ी यादें मनीष शर्मा की कला में एक आवर्ती विषय हैं। उनकी ब्लू बॉक्स श्रृंखला में विशिष्ट वास्तु के संकेत प्रतीकात्मक रूप से दीखते हैं। प्रत्येक बॉक्स के भीतर विशिष्ट वस्तुओं को सहेजा है जो झिलमिलाती सुनहरी आभा में कीमती और संरक्षित स्मृति के भाव को प्रदर्शित करती है।
एक और इंस्टलेशंस में कुछ सैनिक बादल सिर पर उठाये ले जा रहे हैं जो कि आधुनिक समय की व्यवस्था पर कटाक्ष है। एक इंस्टलेशंस जो कि आधुनिक मूर्तिशिल्प कहा जाना चाहिए जिसमें कि एक कार बादल को उठाये है जो भाव, संवेदना और उम्मीद के अतिरिक्त बोझ तले दबी परिस्थिति को व्यक्त कर रही है। प्रदर्शनी में लगा सिटीस्केप भी एकाएक ध्यानाकर्षित करता है। फ़्लाइंग क्लॉउड, ट्रांसम्यूटेशन ऑफ़ मेमोरीज, साइट्स ऑफ़ रिमेंबरिंग, ड्रीम ट्री आदि इंस्टॉलेशंस में बहुत से मीडियम को एक साथ प्रयोग करके अनूठी कलाकृतियां मनीष शर्मा ने अपने इस शो में दिखाई हैं। माय लॉस्ट मेमोरीज शीर्षक से एक बड़ी पेंटिंग जो कि ट्रिप्टिक है चित्रण की संवेदनशीलता बयान करती दीखती है। 
इस प्रदर्शनी की विशेषता है कि लगभग सभी कलाकृतियां अलग अलग माध्यमों में रची गई हैं जो कि कलाकार की विस्तृत व्यापक दृष्टि को बयान करती हैं। यहाँ हरेक कलाकृति का अपना स्वतंत्र अस्तित्व प्रकट होता है जो कि आपस में पूरी प्रदर्शनी को जोड़े हुये भी है। इकीसवीं सदी की भारतीय कला में मनीष शर्मा की यह प्रदर्शनी नये रास्ते खोलती है। यह प्रदर्शनी 2 मार्च तक अवलोकनार्थ है।