आयकर अधिनियम की धारा 43 बी(एच) को हाईकोर्ट में चुनौती, भारत सरकार व सीबीडीटी से मांगा जवाब

Ananya soch
अनन्य सोच। राजस्थान हाईकोर्ट ने एमएसएमई से खरीदारी व्यय को अस्वीकार करने वाली आयकर अधिनियम की धारा 43 बी(एच) (Section 43B(H) of the Income Tax Act) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर भारत सरकार व सीबीडीटी से 20 सितंबर तक जवाब मांगा है. अदालत ने पूछा है कि क्यों ना याचिका के लंबित रहने के दौरान सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) को भुगतान से संबंधित इस प्रावधान पर ही रोक लगा दी जाए. जस्टिस पंकज भंडारी व प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान की गारमेंट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन की याचिका पर दिए. 
याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता संजय झंवर ने बताया कि आयकर अधिनियम की धारा 43 बी(एच) के अनुसार, एमएसएमई को भुगतान से संबंधित कुछ कटौतियों का दावा तभी किया जा सकता है, जब वास्तविक भुगतान एक निर्धारित समय सीमा में किया गया हो. यह प्रावधान व्यवसायों, विशेष तौर पर निर्यात क्षेत्र में खरीदारों के लिए कड़े भुगतान और समय सीमा लागू करके उन पर वित्तीय दबाव डालता है. इसके अलावा देरी पर उच्च ब्याज भुगतान और आय की गणना के लिए पहले से ही कानूनी प्रावधान है. इसलिए खरीद मूल्य पर आय के रूप में कर लगाना अत्यधिक मनमाना और गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने केन्द्र सरकार और सीबीडीटी से जवाब तलब किया है.