कला रामनाथ और श्रुति साडोलीकर ने सजाया सात सुरों का आशियाना

पद्मश्री डॉ. कला रामनाथ ने वॉयलिन और पद्मश्री श्रुति साडोलीकर ने गायन की मधुर स्वर लहरियों से किया संगीत प्रेमियों को सराबोर स्पिकमैके के दो दिवसीय ‘श्रुति अमृत महोत्सव’ के दूसरे दिन कानोड़िया कॉलेज में हुआ सुरों का अनूठा संगम

कला रामनाथ और श्रुति साडोलीकर ने सजाया सात सुरों का आशियाना

अनन्य सोच, जयपुर। आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, कनोड़िया पीजी महिला महाविद्यालय और स्पिकमै के जयपुर चैप्टर की ओर से आयोजित किए जा रहे दो दिवसीय ‘अमृत महोत्सव’ के दूसरे दिन वॉयलिन और गायन की मधुर स्वर लहरियों ने संगीत प्रेमियों को मंत्र मुग्ध कर दिया। कानोड़िया कॉलेज प्रांगण में आयोजित समारोह में देश की जानी-मानी वॉयलिन वादिका पद्मश्री डॉ. कला रामनाथ और उसके बाद शास्त्रीय गायिका पद्मश्री श्रुति साडोलीकर ने अपनी प्रस्तुति से कॉलेज प्रांगण को कभी अध्यात्मिक तो कभी श्रंगारिक अनुभूतियों से सराबोर कर दिया।  

कार्यक्रम की शुरूआत डॉ. कला रामनाथ के वॉयलिन वादन से हुई। उन्होंने इस मौके पर मारवा थाट के राग शुद्ध बराड़ी  को अपनी प्रस्तुति का माध्यम बनाया। राग बराड़ी भारतीय शास्त्रीय संगीत की परंपरा का एक प्राचीन राग है। उन्होंने इस राग में विलंबित एक ताल, उसके बाद मध्य लय तीन ताल की बंदिशें बजाने के बाद द्रुत तीन ताल में तराना की प्रस्तुति दी। इस राग को प्रस्तुत करने के लिए उन्होंने राजस्थानी भक्ति रचना ‘कुंज बिहारी थारी रे बांसुरी लागे प्यारी’ को चुनकर राजस्थानी भाषा के प्रति अपने अनुराग को प्रदर्शित किया। कार्यक्रम का समापन उन्होंने राजस्थानी मांड पर आधारित रचना ‘केसरिया बालम आवो नी पधारो म्हारे देस’ किया। उनके साथ तबले पर पंडित मिथिलेश कुमार झा ने संगत की।  

कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में मंच पर आईं देश के जानी-मानी शास्त्रीय गायिका पद्मश्री श्रुति साडोलीकर। श्रुति साडोलीकर जयपुर-अतरौली घराने की मूर्धन्य गायिका हैं। उन्होंने पूर्वी थाट के आश्रय राग पूर्वी को अपनी प्रस्तुति का माध्यम बनाया। राग पूर्वी में आरोह और अवरोह दोनों में तीव्र मध्यम का प्रयोग होता है। उन्होंने राग की धीर गंभीर प्रकृति के अनुरूप राग का मन्द्र और मध्य सप्तक में एक शिल्पी की भांति विस्तार करते हुए राग वाचक स्वरों का श्रंगार किया। उनके गायन में तानों का सधा हुआ प्रदर्शन सुनने योग्य पक्ष था। श्रुति के साथ हारमोनियम पर अनंत श्रीकृष्ण जोशी तथा तबले पर मिथिलेश कुमार झा ने संगत की। अंत में कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सीमा अग्रवाल ने कलाकारों और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया। अर्चना मेहता ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कलाकारों का परिचय दिया।