मोमिन खान ने राजस्थानी मांड को ठुमरी अंदाज़ में सारंगी और गायन के सम्मिलन के साथ किया प्रस्तुत
प्रदेश के कलाकारों ने Nita Mukesh Ambani Cultural Centre में सुरों का एक जादुई संसार रचा

Ananya soch
अनन्य सोच। Nita Mukesh Ambani Cultural Centre में सुरों का एक ऐसा जादुई संसार रचा गया, जिसे संगीतप्रेमी लंबे समय तक याद रखेंगे। “Strings of Sarangi from Rajasthan” नामक इस विशिष्ट कार्यक्रम में भारतीय शास्त्रीय संगीत की विरासत को राजस्थान की आत्मा के साथ प्रस्तुत किया गया. कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण रहे पद्मश्री उस्ताद मोइनुद्दीन खान और उनके सुपुत्र उस्ताद मोमिन खान, जिन्होंने सारंगी के दुर्लभ स्वरूप को मंच पर जीवंत किया. तबले पर संगत की भूमिका निभाई मुंबई के प्रख्यात कलाकार पं. आदित्य कल्याणपुरी ने, जिन्होंने अपनी संगत से संपूर्ण प्रस्तुति को ऊर्जस्वित किया.
कार्यक्रम की शुरुआत राग चंपाकली में विलंबित लय 48 मात्रा में की गई, जिसमें आड़ और कुआड़ की लयकारी के साथ-साथ तीनों सप्तक में सपाट और गमक की तानों का अद्भुत एवं प्रशंसनीय प्रदर्शन रहा. यह रचना शुद्ध रूप से शास्त्रीयता की गहराइयों में ले जाती रही, जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. इसके पश्चात तीन ताल में द्रुत लय की बंदिश ने पूरे माहौल को जीवंत कर दिया. इसके बाद मोमिन खान द्वारा राजस्थानी मांड को ठुमरी अंदाज़ में सारंगी और गायन के सम्मिलन के साथ प्रस्तुत किया गया, जिसे सुनकर श्रोताओं की तालियाँ और वाह-वाह की गूंज से सभागार भर उठा. कार्यक्रम का समापन राग भैरवी में हुआ, जिसमें उस्ताद बड़े गुलाम अली खान साहब की अमर गायकी को सारंगी की मधुरता के साथ प्रस्तुत किया गया. उस क्षण पूरा वातावरण श्रद्धा, सौंदर्य और भावपूर्ण संगीत में डूब गया. कार्यक्रम को Reliance Foundation का सहयोग प्राप्त था, जिसने इस सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित रूप से प्रस्तुत करने में अहम भूमिका निभाई.