पार्वती को दिया वचन नहीं निभा सका नरेन, दहेज के लोभियों से गया हार
आशादर्शन कला संस्था के बैनर तले "नरेन अकेला" नाटक के मंचन से दो दिवसीय नाट्य फेस्टिवल की हुई शुरुआत
Ananya soch
अनन्य सोच। Naren Akela natak: आशादर्शन कला संस्था के बैनर तले बुधवार से दो दिवसीय नाट्य फेस्टिवल की शुरुआत बुधवार को रवींद्र मंच के मिनी थियेटर में हुई. 30 दिवसीय कार्यशाला में तैयार लेखक नरेन्द्र बबल द्वारा लिखित तथा निर्देशक महेश महावर द्वारा निर्देशित नाटक "नरेन अकेला" का मंचन किया गया. नाटक में मुख्य पात्र नरेन को समाज में फैली कुरीतियों से संघर्ष करते दिखाया गया.
मुख्य पात्र नरेन मध्यम परिवार से होता है जो अपने परिवार और समाज की परवाह किये बिना अंतरजातीय विवाह करता है, नरेन की पत्नी पार्वती विवाह से पहले ही नरेन से वायदा लेती है कि कभी भी रिश्वत नहीं लोगे और पूर्ण ईमानदारी से नौकरी करोगे, नरेन ऐसा ही करता है. बिटिया को जन्म देने के कुछ समय बाद पार्वती की मृत्यु हो जाती है नरेन जब अपनी बिटिया के लिए काबिल वर की तलाश में निकलता है तो उसे दहेज के लोभी ही मिलते हैं. वह अपनी तनख्वाह से उनकी मांग पूरी नहीं कर पाता है वह पार्वती को दिए वायदे को तोड़ने के लिए मजबूर हो जाता है वह दहेज के अभिशाप से जूझता है.
मुख्य पात्र नरेन की भूमिका स्वयं निर्देशक ने निभाई. अन्य कलाकार पीयूष जैन, फाल्गुनी कुमारी, खुशाल राही तथा नीतू मिश्रा ने बेहतरीन अभिनय किया. मंच संचालन हिमांशु झांकल, शंकर पारीक ने किया. रूप सज्जा-नरेंद्र बबल, प्रकाश-शहजोर अली, संगीत-जीतू काला तथा संयोजन के के कोहली का रहा.