'हम सब सहमत' में दिखी अत्याचार के खिलाफ मुखर कलाकृतियां

देशभर के 280 कलाकारों ने संजोये अपने अनुभव  - आजादी के अमृत महोत्सव के मद्देनजर आयोजन  - 15 अगस्त तक रहेगी जारी 

'हम सब सहमत' में दिखी अत्याचार के खिलाफ मुखर कलाकृतियां

Ananya soch

अनन्य सोच, जयपुर। जेकेके में 15 जुलाई से प्रदर्शनी 'हम सब सहमत' शुरु हुई. केन्द्र की पहल कला संसार के तहत सफदर हाशमी मेमोरियल ट्रस्ट (सहमत) से आयोजित इस प्रदर्शनी का सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय, हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ओम थानवी, जवाहर कला केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका जोधावत व केन्द्र की शासी परिषद के सदस्य गजानंद मानव मिश्रा ने दीप जलाकर उद्घाटन किया इस दौरान क्यूरेटर राम रहमान अबान रजा व अन्य गणमान्य मौजूद रहे.15 अगस्त तक अलंकार दीर्घा में सुबह 11 से शाम 7 बजे तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में देशभर के 280 कलाकारों के फोटो, पेंटिंग्स व कविताएं देखने को मिलेंगी. प्रदर्शनी में  देश के ज्वलंत मुद्दों जैसे महिला अत्याचार, साम्प्रदायिकता, लोकतंत्र के गिरते मूल्यों आदि पर प्रहार किया. प्रदर्शनी में शकुंतला कुलकर्णी, मीरा देवी दयाल, नीलिमा शेख, विवान सुंदरम सरीखे चित्रकार एवं विष्णु नागर, मृदुला गर्ग, अख़लाक़ आहन, राजेश जोशी जैसे कवि और प्रसिद्ध फोटोग्राफर्स की कलाकृतियां शामिल हैं. नौशीन खान कि कविता 'हम सब फूल हैं इसके बगीचे के, ये बगीचा गुलिस्तां है हमारा, सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा' राष्ट्रीय एकता की बात करती है तो विष्णु नागर की पंक्तियां 'बोलने वाले कम न हो, चुप रहने वाले ज्यादा ना हो' अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व को बताती है.