Natak Gopi Gavaiya Baga Bajaiya: गोपी गवैया बागा बजैया का मंचन

Natak Gopi Gavaiya Baga Bajaiya: गोपी गवैया बागा बजैया का मंचन

Ananya soch: Gopi Gavaiya Baga Bajaiya

अनन्य सोच। Gopi Gavaiya Baga Bajaiya: परम्परा नाट्य समिति और विद्याश्रम पब्लिक स्कूल की संयुक्त प्रस्तुति के तहत नाटक गोपी गवैया बागा बजैया का मंचन बुधवार को रवींद्र मंच के स्टूडियो थिएटर में हुआ. सफ़दर हाश्मी द्वारा लिखित ये बाल नाटक दीपक पारीक के निर्देशन में एक स्कूल के 5 वर्ष की उम्र के बच्चो द्वारा खेला गया. नाटक में बताया कि गोपी और बाघा दो बुद्धिमान मूर्ख हैं. एक गाने के लिए जीता है और दूसरा ढोल बजाने के लिए उनकी घोर अयोग्यता के बावजूद उनका जुनून संगीत की कोई सीमा नहीं जानता.

जब गांव वाले अब उन दोनों की संगीत सुनना बर्दाश्त नहीं कर सकते तो उन्हें जंगल में भगा दिया जाता है. इधर गोपी और बाघा का आमना-सामना एक दूसरे से होता हैं और उनके भाग्य जीवन भर के लिए एक दूसरे से जुड़ जाते हैं. एक मजबूत और तत्काल बंधन दो असहाय आत्माओं द्वारा बनाया गया है. दोनों खोज में हैं उनके संगीत शिल्प के पारखी. वे अपनी नई दोस्ती का जश्न मनाने के लिए एक साथ गाते और बजाते हैं. दिलीप भट्ट ने इस नाटक का संयोजन किया.

इन बच्चों ने किया अभिनय
मंच पर अबू बकर,  केशव, बरखा, संशिका, मायरा, डिंपल, रिया, ईशान, माधव, आयुष, अयांश, श्रेयांश, यासीन और शिवम ने अभिनय किया. वहीं वेशभूषा- अवलोकिता सिंह एवं कृतिका शर्मा, मंच सामग्री -प्रियांशी गुप्ता, रूपसज्जा -अंजलि शर्मा, संगीत - सौरभ जैन, समन्वय --दिलीप भट्ट एवं रितु दक और निर्देशन एवं परिकल्पना- दीपक पारीक ने की.