Sawan Shringar program: जेकेके में साहित्य और संगीत के साथ सावन शृंगार की शुरुआत

अविनाश पाराशर। Sawan Shringar program: पहले दिन हुआ संवाद प्रवाह व संगीत संध्या — गुरुवार शाम 6:30 बजे ऑडियो विजुअल प्रेजेंटेशन में साकार होगा मो. रफ़ी का सुनहरा सफर

Ananya soch: Sawan Shringar program

अनन्य सोच। Sawan Shringar program: सावन के सौंदर्य से कला प्रेमियों को सराबोर करने वाले जवाहर कला केन्द्र के सावन शृंगार उत्सव का बुधवार को आगाज हुआ. मूर्धन्य साहित्यकार प्रेमचंद की जयंती और सुरों के सरताज मो. रफ़ी की पुण्यतिथि के अवसर पर उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. पहले दिन सुहाने मौसम के बीच कार्यक्रम में साहित्य और संगीत का समागम देखने को मिला. यहां वरिष्ठ कलाकार प्रदीप चौधरी, राजा रहमान शेख, डॉ. गौरव जैन और दीपशिखा जैन और समूह के कलाकारों ने सुरीली प्रस्तुति दी. वहीं प्रेमचंद का साहित्य और उसकी प्रासंगिकता विषय पर वरिष्ठ शिक्षाविद् बीना शर्मा, नाट्य निर्देशक राजेन्द्र सिंह पायल और समीक्षक सुंदरम शांडिल्य ने विचार रखे. दोनों महान कलाकारों से जुड़े विशेष दिन के मद्देनजर हुए इस आयोजन को कलाकारों व कला प्रेमियों की खूब सराहना मिली. उत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को वृत्त चित्र निर्देशक, लेखक एवं फिल्मकार दीपक महान शाम 6:30 बजे रंगायन में ऑडियो विजुअल प्रेजेंटेशन के जरिए मो. रफ़ी के सुहाने सफर पर प्रकाश डालेंगे. 

'साहित्य का प्रेमचंद जनता के साहित्यकार

कृष्णायन में प्रदीप चौधरी ने मो. रफ़ी के गीत गाकर समां बांधा. इसके बाद संवाद प्रवाह में प्रेमचंद के साहित्य पर प्रकाश डालते हुए डॉ. बीना शर्मा ने कहा कि प्रेमचंद को मानव मन की बहुत पकड़ थी वे सही मायनों में जनता के साहित्यकार थे जिन्होंने कालजयी रचनाएं लिखी. सुंदरम शांडिल्य ने कहा कि हमें सुंदरता की कसौटी बदलनी पड़ेगी. प्रेमचंदी की जूतियां फटना और उनकी अंगुलियों का दिखना इस बात को ​दर्शाता है कि वे उस वर्ग से टक्कर लेते रहे जो धन और सौंदर्य को ही सर्वश्रेष्ठ गुण मानते हैं. प्रेमचंद पूंजीवाद के संकट को भांप गए थे उन्होंने कभी साहित्य को बांटा नहीं और हर वर्ग तक पहुंचने की कोशिश की. राजेन्द्र सिंह पायल ने कहा कि प्रेमचंद को समझना सबसे सरल है. प्रेमचंद ने बेवजह की दौड़ से दूर रहते हुए मन मुताबिक जिंदगी जीना सिखाया. 

बार-बार देखो हजार बार देखो...

संवाद प्रवाह के बाद रंगायन में शुरू हुआ सुरीला सफर। राजा रहमान शेख ने भजन 'सुख के सब साथी दुख का ना कोई' से शुरुआत की। 'तुमने किसी की जान को जाते हुए देखा' गीत के साथ सभी को रूमानियत से भर दिया. सुहाने मौसम को ध्यान रखते हुए उन्होंने 'आज मौसम बड़ा बेईमान है' गीत गाया. 'बार-बार देखो हजार बार देखो', 'पुकारता चला हूं' जैसे गीत गाकर रहमान ने श्रोताओं की दाद बटोरी. तबले पर मेहराज हुसैन, की-बोर्ड पर रहबर हुसैन, ऑक्टो पैड पर दुर्गेश बालोदिया और गिटार पर सुनिल कुमार ने संगत की. 

मन रे तू काहे ना धीर धरे...

सुरीले नगमों का सिलसिला यहीं नहीं थमा. डॉ. गौरव जैन और दीपशिखा जैन ने मशहूर गीतों के बोल सुरीली आवाज में पीरोकर श्रोताओं की वाहवाही लूटी. 'मन रे तू काहे ना धीर धरे' गीत के साथ गौरव ने प्रस्तुति शुरू की। 'तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है' गीत के साथ दीपशिखा मंच पर छाई. दोनों ने एक-एक कर 'अजहुँ न आये बालमा', 'इस रंग बदलती दुनिया में', 'हम आपकी आंखों में' गीत गाए. दोनों ने 'वो है जरा खफा', 'मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा' गीत की डूएट परफॉर्मेंस दी. की-बोर्ड पर रवि तिलवानी, तबले पर सावन डांगी, ढोलक पर पवन डांगी, गिटार पर डैनी, ऑक्टो पैड पर इरशाद ने संगत की.