Creative Hearts Exhibition: मनोभावों को रंगों में मिलाकर बनाई खूबसूरत कृतियां
तीन दिवसीय ’क्रिएटिव हार्ट्स’ एग्जीबिशन में दिखी भारत छह राज्यों की चित्रकला
Ananya soch: Creative Hearts Exhibition
अनन्य सोच। Creative Hearts Exhibition: गुलाबी नगर का कला फलक शनिवार को एक बार फिर देश के छह राज्यों के कलाकारों की चित्रकला से रोशन हो गया. रंगों का ये संगम जवाहर कला केन्द्र की अलंकार कला दीर्घा में देखने को मिला. मौका था यहां शुरू हुए तीन दिवसीय नेशनल आर्ट शो ‘क्रिएटिव हार्ट्स’ (Creative Hearts Exhibition) के आयोजन का. इस शो में असम, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और राजस्थान के चुनिंदा 15 कलाकारों की कृतियां प्रदर्शित की गई हैं.
यहां प्रदर्शित कृतियों में कहीं योग से ब्रह्मांड की अनंत यात्रा, कहीं हर सुख दुख मेें इनसान का साथ देने वाले गुलाब के फूलों का सौंदर्य तो कहीं नारी के सौन्दर्य का अक्स कैनवास पर देखने वालों को कुछ पल ठहरने को मजबूर कर रहा था. पूरी कला दीर्घा में 150 से भी अधिक कृतियां सजी हैं जिनमें कलाकारों की रंगों में अपने मनोभावों को मिलाकर बनाई तरह तरह की मनभावन आकृतियां देखने योग्य हैं.
आर्ट शो का उद्घाटन वरिष्ठ चित्रकार कमला पंवार और अभिनेत्री पूजा शर्मा ने किया. कोपल सिंह, डॉ. देवेन्द्र सिंह, डॉ. मुकेश दीक्षित और डॉ. अर्चना दीक्षित विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे.
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योग से ब्रह्माण्ड की अंनत यात्रा’
आज की इस एग्जीबिशन की थीम ‘योग’ थी. अंधकार को दूर करता योग, शान्ति की खोज में योग तो कहीं प्रकृति के साथ खुशी बांटता योग.
’जिसका ना कोई ओर ना कोई छोर’ - गायत्री कुलकर्णी
पुणे से इस एग्जीबिशन का हिस्सा बनने आई गायत्री कुलकर्णी नें बताया मुझे कला में अलग-अलग प्रयोग करना बहुत अच्छा लगता हैं. अपनी कृति में ब्रह्मांड को दर्शाते हुए उन्होंने कहा कि इस पूरे ब्रह्मांड में हम एक मात्र छोटा-सा कण हैं जिसका कोई अंत है ना आरंभ. उनकी कृतियों का मुख्य आधार आदिनाथ शिव रहा.
’मेरी कला को दिशा देती ये शांति की खोज’ - लीना कुलकर्णी
बुद्ध की शरण में आए श्रमण (साधु) को अपनी कला से बड़ी शिद्दत से कैनवास पर उतारा. इस कृति में मोक्ष के लिए भगवान बुध की काया में विलीन होते श्रमण का अक्स देखने योग्य है. उनकी हर कृति में मेडिटेशन के जरिए शांति की खोज नजर आई. लीना का कहना है कि उनकी कला को ये शांति की खोज हर बार नई देती है.
’सुख हो या दुख हर पल का साक्षी बने फूल’-नीना बीडीकर
महाराष्ट्र से आई नीना बीडीकर ने बताया प्रकृति हमेशा ही मेरे करीब रही. फूलों से प्यार उनके लिए एक साधन है और इसीलिए उनके कैनवास पर भी फूलों की बहार नज़र आई. उन्होंने गुलाब के सुर्ख फूलों को अपने सृजन का माध्यम बनाया है.
’अंधकार में गोते खाता मन’ - रचना शाह
महाराष्ट्र की ही रचना शाह ने अपनी कृति मे अंधकार में गोते खाते व्यक्ति की मनःस्थिति को जीवंत किया है. इस बात को जीवंत करने के लिए उन्होंने काले रंग से सूर्य की तरह एक गोला बनाया है और इस गोले से निकलती किरणें व्यक्ति की चिंताओं का प्रतीक हैं. रचना का कहना है कि मैं मन के भीतर जितनी भी गहराई में उतरती जाती हूं अंधकार मुझे बुलाता जाता है इसलिए लगभग 8 साल तक मैंने सिर्फ ब्लैक एंड व्हाइट थीम पर ही काम किया.
’प्रकृति से अथाह प्रेम में डूबता जाता है ये मन’-मधु सैनी
प्रकृति से प्रेम मे डूबी शकुंतला की खूबसूरत कृति बनाने वाली मधु सैनी बताती हैं कि प्रकृति से प्रेम ही है असली खुशी. उन्होंने कहा प्रकृति के हर उपहार से मुझे प्रेम है और मेरे लिए तो असल में यह एक साधन भी है.
इन कलाकारों की कृतियां हैं प्रदर्शित
मृणाल दास (असम), परिमल वाघेला अहमदाबाद, महाराष्ट्र से नीना बिडीकर, लीना कुलकर्णी, गायित्री कुलकर्णी, रचना शाह, कान्ता सिंह, स्वप्निल प्रमोद, चेन्नई से रेणु छोटरिया, श्रेयसी डे, तेलंगाना से गोर्थी अरूण कुमार, चंद्रशेखर देशपांडेय और जयपुर से मधु सैनी, डॉ. प्रशान्त शर्मा और नीरव कुलश्रेष्ठ ‘इनसेन’ अपनी कृतियों के साथ इस प्रदर्शनी में मौजूद हैं। प्रदर्शनी रविवार तक चलेगी.