राजयोग व अध्यात्म शक्ति ने मुझे अंधकारमय जीवन से बाहर निकाला - राष्ट्रपति

 दो दिवसीय दौरे पर माउण्ट आबू पहुंची राष्ट्रपति,ब्रह्माकुमारीज संस्थान के सम्मेलन का किया उद्घाटन

अनन्य सोच, जयपुर। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के विभिन्न सेवा केन्द्रों पर जो अध्यात्म शक्ति प्राप्त होती है उसका ज्वलंत उदाहरण यह है कि एक समय मैं स्वयं अंधकारमय जीवन की ओर अग्रसर हो गयी थी। मेडिटेशन और ध्यान योग के माध्यम से मुख्य धारा में लौटी। यह बात देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने मंगलवार को ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर थीम के तहत आध्यात्मिक सशक्तिकरण से स्वर्णिम भारत का उदय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि विश्व में अनेको संस्थान कार्यरत हैं लेकिन ब्रह्माकुमारीज एक ऐसा संस्थान है जो बहनों द्वारा संचालित की जाती है। संस्थान में वरिष्ठ भाईयों द्वारा पीछे से सहयोग किया जाता है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान की सफलता यह सिद्ध करती है कि अवसर मिलने पर महिलायें पुरूषों से बेहतर कार्य कर सकती है। उन्होंने कहा कि एक आध्यात्मिक संस्था के रूप में केवल ब्रह्माकुमारीज ही नहीं ऐसी कई संस्थाएं इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं। आज यह संस्थान विश्व के 137 देशों में पांच हजार सेवा केंद्रों का संचालन कर रही है। इसके संचालन में महिलाओं की अग्रणी भूमिका होती है। भाई इस कार्य में सहायता करते हैं। यह संस्थान महिलाओं द्वारा संचालित विश्व का सबसे बड़ा संस्थान है। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर बालिका शिक्षा एवं महिला अत्याचार पर भी अपना संक्षिप्त उदबोधन दिया। भारत को सुपर पावर बनाने के लिए अध्यात्म और विज्ञान का सहयोग जरूरी है। आज हमारा देश अपनी रक्षा के साथ पूरे विश्व में शांति के लिए प्रयास कर रहा है।