जेकेके में फागोत्सव में राजस्थानी लोक संस्कृति में झलके होली के रंग

जेकेके में फागोत्सव में राजस्थानी लोक संस्कृति में झलके होली के रंग

Ananya soch

अनन्य सोच। जवाहर कला केन्द्र की ओर से होली के अवसर पर विशेष कार्यक्रम 'फागोत्सव' का आयोजन किया जा रहा है। मंगलवार को मध्यवर्ती रंगों से खिल उठा जब लोक नृत्यों व लोक गीतों की सुरीली प्रस्तुति से होली के त्यौहार का आगाज़ हुआ। इसी कड़ी में 12 मार्च को भी सायं 6 बजे मध्यवर्ती में फागोत्सव के दूसरे दिन पर सांस्कृतिक लोक कार्यक्रमों का सिलसिला जारी रहेगी। 

कार्यक्रम की शुरुआत बम रसिया से हुई, जिसमें होली के पारंपरिक गीतों और नृत्य के साथ उत्सव का रंग भरा गया। इसके बाद रावण हत्था और फड़ वाचन की शानदार प्रस्तुति दी गई, जिसमें राजस्थान की लोक कला और ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन किया गया। फिर बहरूपिया का प्रदर्शन हुआ, जो राजस्थान में होली के दौरान किए जाने वाले मनोरंजक रूपांतरणों को दर्शाता है। इसके बाद मारवाड़ी फाग – अनुप तिवाड़ी ने फागोत्सव के गीतों से माहौल को रंगमय किया और होली की खुशी को व्यक्त किया। फिर हेला ख्याल और जोगी गीत – जाकिर हुसैन द्वारा प्रस्तुत किए गए, जिनमें राजस्थान के लोक संगीत और भक्ति भावना का अद्वितीय चित्रण किया गया।

इसके बाद शेखावाटी चंग का मंचन हुआ, जो राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र का पारंपरिक नृत्य था। कार्यक्रम का समापन सहरिया स्वांग के साथ हुआ, जिसमें ग्रामीण जीवन और संघर्षों को नृत्य के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। अंत में, सुगम गायन के अंतर्गत दिलबर हुसैन ने गणेश वंदना से शुरुआत की और फिर होली के विभिन्न गीतों से माहौल को और रंगीन किया। कार्यक्रम का समापन मयूर नृत्य के साथ हुआ, जो होली की खुशी और उल्लास का प्रतीक था।