आओ झूमे गाएं में हुईं सुरों की साधना

आओ झूमे गाएं में हुईं सुरों की साधना

Ananya soch

अनन्य सोच। दर्शक संस्था द्वारा आयोजित वार्षिक संगीत शिविर "आओ झूमे गाएं" का इस वर्ष भी भव्य आयोजन हुआ. 36 वर्षों से चली आ रही इस सांगीतिक परंपरा की शुरुआत इस बार भी "ओम नाद"  के संगीतमय उच्चारण से की गई, जिसने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक और संगीतमय बना दिया. संस्था की संस्थापक मधु भट्ट ने दीप प्रज्वलित कर शिविर का विधिवत उद्घाटन किया. 

शिविर में लगभग 65 प्रतिभागियों ने भाग लिया. संस्था की समन्वयक प्रोमिला राजीव ने बताया कि ओम नाद से ध्यान और प्राणायाम में गहन एकाग्रता आती है, जिससे संगीत की साधना और भी प्रभावी होती है. 

संगीत गुरु राजीव भट्ट ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के गूढ़ सिद्धांतों को सरल भाषा में प्रतिभागियों के सामने प्रस्तुत किया. उन्होंने राग यमन, अलंकार, लोकगीत "लड़ली लूमा झूमा" तथा भजन "कृष्णा कृष्णा राधे कृष्णा" सिखाते हुए प्रतिभागियों को सुर और भाव की गहराई से परिचित कराया 

बच्चों को कीबोर्ड, तबला, गिटार, वायलिन और सितार जैसे विभिन्न वाद्य यंत्रों की जानकारी दी गई और उनका अभ्यास पियूष कुमार द्वारा कराया गया. 

राजीव भट्ट ने बताया की शिविर का मुख्य उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत और सुगम संगीत की समृद्ध विरासत को नई पीढ़ी तक पहुँचाना है. 

कार्यक्रम का संचालन प्रोमिला राजीव ने बखूबी निभाया, जिससे पूरा आयोजन सुव्यवस्थित और प्रेरणादायक रहा