आत्मा स्वयं चुनती है अपने पेरेंट्स और रिश्तेदार

मुंबई की डॉ. शिबानी ने जयपुर में अपनी किताब सोल ऑर्गेज्म पर किया टॉक शो

आत्मा स्वयं चुनती है अपने पेरेंट्स और रिश्तेदार


 अनन्य सोच, जयपुर। आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में जाने से पहले कई स्तरों से गुजरती है। मैंने ऐसे कई अनुभव किए हैं, जिसमें आत्मा ने अपने पसंद से शरीर चुना। आत्मा स्वयं अपने पेरेंट्स, परिवार और रिश्ते चुन कर आती है। ये सिर्फ समझने और फील करने की बात है। पुणे में मेरे परिचित के साथ भी ऐसा अनुभव हुआ है, जिसमें उनको सोल के आने का अहसास हुआ। मेरी किबात में भी कुछ ऐसे ही बिंदुओं को दर्शाया गया है। ये विचार जयपुर में होटल ग्रेंड सफारी में मुंबई की युवा विशेषज्ञ डॉ. शिबानी कसुल्ला ने रखे। वे जयपुराइट्स और कुछ विशेषज्ञों के साथ टॉक शो में रूबरू हो रही थीं। 
रहस्य धारा नाम से हुए टॉक शो में जयपुर के टॉप डेलीगेट्स ने हिस्सा लिया और शिबानी से सवाल-जवाब किए। उन्होंने बताया, वर्तमान परिदृश्य में सोल ऑर्गेज्म किताब हमारे आध्यात्म पर सटीक बैठती है। किताब में भौतिक सुखों और महामारी के दौरान लोगों की मानसिकता को बताया गया है।
टॉक शो में डॉ शिबानी कसुला लेखक के साथ आचार्या हिमानी शास्त्री आयोजक, डॉ पूनम शर्मा शिक्षाविद, सरिता कांत इंटीरियर डिजाइनर, सोनाली सालवी एक्सप्रेसनिस्ट आर्टिस्ट और वर्तिका जैन एंकर मौजूद रहीं।

मेडिटेशन का दूसरा रूप हमारे अंदर
डा. शिबानी ने कहा, मेडिटशन का दूसरा रूप हमारे शरीर में मौजूद है। जब हम अपनी क्रियाओं में होते हैं तो शून्य समय भी मेडिटेशन के बराबर होता है। ऐसे में हम कह सकते हैं, कि जरूरी नहीं, कि सिर्फ कुछ बाहरी क्रियाओं से ही शांति पाई जा सकती है। ये सीधेतौर पर आध्यात्म से जुड़ा विषय है।
अफ्रीका के टॉक शो में आया आइडिया
लेखक ने बताया, मुझे अफ्रीका के एक टॉक शो में बुलाया गया था। वहां फ्रेंच लेखकों के साथ मेरा इंटरेक्शन हुआ और इंडिया आकर मुझे ये किताब लिखने का आइडिया आया। ये सोल, आध्यात्म और जीरो पोइंट से जुड़ी बातों को एक मंच पर लाती है।