Jawahar Kala Kendra: कथक के जरिए कलाकार ने कराया कृष्ण से राधा का श्रृंगार

Jawahar Kala Kendra: कथक के जरिए कलाकार ने कराया कृष्ण से राधा का श्रृंगार

Ananya soch: Jawahar Kala Kendra

अनन्य सोच। Jawahar Kala Kendra: कलाकार ने मन जब बहता है तो निर्बाध बहता है को नायिका का मन जल की भांति बहता दर्शया तो हर कोई कला की बानगी देखकर रोमांचित था. इसमें प्रियतम के लिए त्याग भरा मन बहते हुए नायिका को उसके प्रियतम के समीप ले जाता है. जल की तरह बहते हुए ये मन नायिका को भी बहा ले जाता है. ये अनूठी कला जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित संगीत संध्या में कथक की प्रस्तुति के दौरान देखने को मिली. जयपुर घराने की नृत्यांगना रश्मि उप्पल ने अलग-अलग राग पर आधारित बंदिश पर कथक कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया. मधुरम के तहत साप्ताहिक संगीत का आयोजन किया गया. 

मनवा तोरे संग बह बह जाए रहा खास:
गणेश वंदना के साथ रश्मि ने प्रस्तुति की शुरुआत की. प्रथम पूज्य को नमन करने के बाद तीन ताल में निबद्ध राग मिश्र जोग की बंदिश 'मनवा तोरे संग बह बह जाए' पर कथक किया. 
श्रृंगार रस से ओत-प्रोत बंदिश पर कलाकार ने बेहतर आंगिक अभिनय और फुटवर्क का प्रदर्शन किया. इसके बाद उन्होंने तीन ताल में ठुमरी पेश की. गत, तोड़े और चक्करदार के बाद ताल दीपचंदी में निबद्ध मिश्र पीलू राग की ठुमरी के साथ प्रस्तुति आगे बढ़ी. 'प्यारी को शृंगार करत नंदलाल' बंदिश पर कलाकार ने कृष्ण और राधा के अनुपम प्रेम की महिमा का बखान किया. इसमें कृष्ण को राधा का शृंगार करते हुए दर्शाया गया. 

इन्होंने की संगत:
नृत्य गुरु अदिति मंगलदास के निर्देशन में प्रस्तुति को तैयार किया गया. तबले पर मोहित गंगानी, पखावज और पढ़न्त पर आशीष गंगानी, हारमोनियम पर राजेन्द्र मेवाल, सारंगी पर अमिरूद्दीन खान ने संगत की. प्रणय भारद्वाज ने मंच संचालन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में कला प्रेमी उपस्थित रहे, जिन्होंने कलाकार को मोटिवेट किया.