Dussehra drama festival: केवट प्रसंग में हैया हो हैया... जीवन नैया खेवन हारे रे भैया.. गाने की प्रस्तुति ने उत्सव में लगाए चार चांद

Dussehra drama festival: राम और केवट के बीच प्रस्तुत संवादों ने खूब वाहवाही बटोरी. केवट ने राम से गंगा पार करवाने के किराए के रूप में भवसागर से पार लगाने की बात कहकर बड़ी शालीनता से अपनी बात मनवा ली. केवट प्रसंग में हैया हो हैया... जीवन नैया खेवन हारे रे भैया.. गाने की प्रस्तुति ने नाट्य की सुंदरता व रोचकता को और भी बढ़ा दिया. नाट्य के एक अन्य दृश्य में राम का वनवासियों से संवाद भी देखते ही बना. इन संवादों के बीच अरे हो अयोध्या रो पूत, तू रघुवंशी रो सरदार.. गीत पर लोक नृत्य की अद्भुत प्रस्तुति दी गई.

Dussehra drama festival: केवट प्रसंग में हैया हो हैया... जीवन नैया खेवन हारे रे भैया.. गाने की प्रस्तुति ने उत्सव में लगाए चार चांद

Ananya soch: Dussehra drama festival

जयपुर: Dussehra drama festival: जवाहर कला केन्द्र  (Jawahar Kala Kendra) की ओर से आयोजित दशहरा नाट्य उत्सव (Dussehra drama festival) का शनिवार को दूसरा दिन रहा. एक तरफ राज्य में राम के राज्याभिषेक की तैयारियां, हर ओर उत्सव का माहौल दूसरी तरफ राजमहल में रानी कैकई के दो वचनों के समक्ष विवश राजा दशरथ. केन्द्र की स्वगृही लोक नाट्य प्रस्तुति के दौरान मध्यवर्ती के मंच पर अभिनय के रंग से ऐसे ही विभिन्न प्रसंगों को उकेरा गया.नाट्य में परिकल्पना व निर्देशन वरिष्ठ नाट्य निर्देशक अशोक राही की रही.

राम गीत के साथ प्रस्तुति की शुरुआत हुई. मंच पर संबंधों और भावनाओं का ताना—बाना कलाकारों ने बुना. मंथरा की कुटिल सोच के प्रभाव में कैकई ने धरोहर के तौर पर राजा दशरथ के पास सुरक्षित अपने दो वचन मांग लिए. परिणाम स्वरूप राम को चौदह बरस का वनवास और भरत के भाग्य में लिखा गया अयोध्या का राज. राम के राजतिलक का स्वपन देख रहे दशरथ पर यह वज्रपात जैसा साबित हुआ. पिता की स्थिति को जान राम सहज ही वनगमन को तैयार हो जाते हैं. मंच पर कई अनूठे दृश्य साकार होते हैं, राम और दशरथ के बीच संवाद से दर्शक भावुक होते हैं तो राम और लक्ष्मण और फिर राम और भरत की वार्ता भाइयों के बीच प्रेम को दर्शाती है.

-'रुचिर रूप धरि प्रभु पहिंजाई, बोली बचन बहुत मुसुकाई'

वहीं पंचवटी में लक्ष्मण पर मोहित शूर्पणखा के संवादों ने भी जमकर तालियां बटोरी. रुचिर रूप धरि प्रभु पहिंजाई, बोली बचन बहुत मुसुकाई कहते हुए शूर्पणखा ने राम और लक्ष्मण की प्रशंसा की. वहीं राम और लक्ष्मण पर मोहित शूर्पणखा को अपनी नाक गंवानी पड़ी. शूर्पणखा रावण के पास पहुंचकर जनक नंदिनी के सौंदर्य का बखान करती है. सीता के सौंदर्य का वर्णन सुन रावण सीता हरण की प्रतिज्ञा लेता है.

नाट्य के मुख्य किरदारों की बात करे तो नितिन सैनी, जय सोनी, अंजलि सक्सेना, राहुल शर्मा, प्रेरण पूनिया, अभिषेक कुमार, प्रियांशु पारीक, आयुश शर्मा और चारु भाटिया ने क्रमश: राम, लक्ष्मण, सीता, दशरथ, कैकेई, भरत, मंथरा, रावण और शूर्पणखा की भूमिका निभाई. प्रस्तुति का संगीत पक्ष बेहद प्रभावी रहा. प्रियांशु पारीक, अमित झा, हिमांशु, अभिषेक, अक्षत, रिमझिम, झनक और मनु शर्मा ने चौपाइयां, दोहे और घनाक्षरी का गायन किया. वहीं मयंक शर्मा ने हारमोनियम, महेन्द्र डांगी ने तबला, हरिहर शरण भट्ट ने सितार, अमीरुद्दीन ने सारंगी और मुकेश खांडे ने ऑक्टोपैड पर संगत की.