Ek Chatur Naar Movie Review: उमेश शुक्ला की फिल्म में चतुराई कम, ऊब ज्यादा
अविनाश पाराशर। पुराने गाने की याद, लेकिन एनर्जी गायब

Ananya soch : Ek Chatur Naar Movie Review
अनन्य सोच। Ananya soch latest movie review: Director Umesh Shukla की new movie‘Ek Chatur Naar ’ का नाम आते ही 1968 की फिल्म पड़ोसन का मशहूर गाना “एक चतुर नार…” याद आता है. लेकिन जहां उस गाने में मस्ती, ताजगी और मज़ा था, वहीं यह फिल्म दर्शकों को उतना आकर्षित नहीं कर पाती.
कहानी: सस्पेंस है, पकड़ नहीं
कहानी ममता (divya khosla kumar) की है, जो लखनऊ की एक चॉल में बेटे और सास (छाया कदम) के साथ रहती है. पति के कर्ज़ से परेशान ममता, एक दिन मेट्रो में बिजनेसमैन अभिषेक (नील नितिन मुकेश) का फोन पाती है. फोन में सरकारी घोटाले से जुड़े सबूत हैं, जिनके जरिए ममता ब्लैकमेलिंग शुरू करती है. कहानी में ट्विस्ट तो हैं, लेकिन कई जगह गति धीमी हो जाती है. किसान आत्महत्या जैसे मुद्दे को जोड़ा गया है, लेकिन वह कहानी का बोझ बढ़ाता है.
निर्देशन: धीमा और ढीला
Umesh Shukla का निर्देशन प्रभावित नहीं करता. फिल्म कई जगह खिंचती है और व्यंग्य-हास्य अधूरा लगता है. छोटे शहर का माहौल जरूर दिखाया गया है, लेकिन असलियत की कमी खटकती है.
कलाकारों का अभिनय: औसत प्रदर्शन
divya khosla kumar का अभिनय कुछ दृश्यों में ठीक है, लेकिन उनका किरदार दोहराव भरा है. नील नितिन मुकेश भी उम्मीद जगाने में नाकाम रहे। छाया कदम, सुशांत सिंह और जाकिर हुसैन जैसे कलाकार अच्छे हैं, लेकिन उन्हें पर्याप्त मौके नहीं मिले.
Technical aspects: Unimpressive
कैमरा वर्क छोटे शहर की झलक देता है, लेकिन गहराई नहीं ला पाता. एडिटिंग कमजोर है और बैकग्राउंड म्यूजिक कई बार ओवरड्रामा करता है। तकनीकी पक्ष फिल्म को मजबूत नहीं बना पाता.
हास्य और व्यंग्य: न के बराबर
फिल्म का सबसे कमजोर पहलू इसका हास्य और व्यंग्य है. कॉमिक टाइमिंग फीकी है और कई सीन बोरिंग लगते हैं. दर्शक जिस चतुराई की उम्मीद लेकर आते हैं, वह यहां नदारद है.
देखें या छोड़ें?
‘एक चतुर नार’ हल्का-फुल्का टाइम पास तो है, लेकिन दमदार मनोरंजन नहीं. अगर आप सिर्फ सस्पेंस और कुछ ट्विस्ट के लिए फिल्म देखना चाहें तो देख सकते हैं, लेकिन मजेदार और चुटीले अनुभव की उम्मीद न रखें.