play "Euthanasia": रवींद्र मंच पर हुआ प्रभावी नाटक "यूथेनेसिआ" का मंचन

play munch on Ravindra "Euthanasia": मूकाभिनय से कलाकारों ने समझाया इच्छा मृत्यु और अच्छी मृत्यु का अंतर 

play "Euthanasia":  रवींद्र मंच पर हुआ प्रभावी नाटक "यूथेनेसिआ" का मंचन

Ananya soch: play munch on Ravindra "Euthanasia

अनन्य सोच, जयपुर। play munch on Ravindra "Euthanasia": कला प्रेमियों को मूकाभिनय की कला प्रभावित कर गई। फिर कलाकारों ने उसे और भी उच्च कोटि का बनाते हुए बारीकियां दर्शाईं. ये अनूठा नाटक रवींद्र मंच के मिनी थिएटर में "यूथेनेसिआ" नाम से आयोजित हुआ. इसमें रंजना चोपड़ा (एडिशनल डायरेक्टर) मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थीं. साथ ही रवींद्र मंच की और से सोविला माथुर ने शिरकत की. इस मौके पर कलाकार अन्नपूर्णा शर्मा व अन्य रंगमंच के कलाकार मौजूद रहे.

-ग्रीक शब्द से आया नाटक का नाम:  

यूथेनेसिया एक ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ अच्छी मृत्यु होता है. कहानी द्वारा इच्छा मृत्यु और अच्छी मृत्यु का अंतर समझाया गया.

यह मानसिक रूप से विक्षिप्त 18 वर्षीय लड़की रिया की कहानी है. उसकी विकलांगता उसकी 50 वर्षीय मां की ओर से समय से पहले जन्म के कारण है. जब वह 15 वर्ष की हुई तो उसकी मां की मृत्यु हो गई. उसकी छोटी-छोटी लापरवाहियों के कारण उसका जीवन संकटपूर्ण हो गया. उसके पिता अकेले ही उसकी देखभाल करने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन अन्य कार्यों में व्यस्त होने के कारण अक्सर असफल होते हैं.

-भाई भी नहीं कर पाता मदद:

रिया का भाई डैनी उससे 7 साल बड़ा है और अपनी नौकरी के कारण वह रिया की देखभाल में अपने पिता की मदद नहीं कर सकता. साथ ही वह रिया को अपने माता-पिता की गलती मानता है. हालांकि वह अपनी बहन से प्यार करता है, लेकिन उसका ज्यादा ख्याल नहीं रखता. लड़की स्वयं सही निर्णय नहीं ले पाती है.

एक बार वह अपने पिता का पीछा करते हुए अपना घर छोड़ देती है, जहां उसका भाई उसे एक कार दुर्घटना से बचाता है. पिता इसे अपने बेटे की गलती मानकर उस पर नाराज होता है. इस प्रकार कई मोड़ लेते हुए कहानी आगे बढ़ती है.

-इंजेक्शन के लिए डाक्टर को रिश्वत:

लड़की को यूथेनेसिया सॉल्यूशन (मर्सी डेथ के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सॉल्यूशन) का इंजेक्शन लगाने के लिए एक डॉक्टर को रिश्वत देने का फैसला किया जाता है. डॉक्टर द्वारा यूथेनेसिया सॉल्यूशन का उपयोग करने से पहले ही उसकी मृत्यु हो जाती है.

पिता सोचता है, कि उसकी बेटी की मृत्यु उसके बेटे के कारण हुई है और वह अपने बेटे को घर से निकाल देता है. पिता ख्वाबों में अपनी बेटी को देखता है. वह उसे समझाती है, कि उसकी मृत्यु स्वाभाविक रूप से हुई है और यह भाई का काम नहीं था. पिता उसकी बात से आश्वस्त हो जाता है और बेटे को वापस घर लाता है.

मंच पर पिता के रूप में विचित्र बहादुर सिंह, पुत्री प्रियंका चंदानी, भाई रामकेश मीणा थे.