Khela National Drama Festival: नाटक पोस्टमास्टर का मंचन

Khela National Drama Festival: नाटक  पोस्टमास्टर का मंचन

Ananya soch: Khela National Drama Festival

अनन्य सोच। Postmaster natak: क्यूरियो की ओर से अयोजित खेला राष्ट्रीय नाट्य उत्सव के अंतर्गत मंगलवार को नाटक ‘पोस्टमास्टर’ का मंचन हुआ.रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित यह नाटक पोस्टमास्टर अकेलेपन, मानवीय संवेदनाओं और रिश्तों की क्षणभंगुरता को दर्शाता है. यह कहानी एक शहर से आए पोस्टमास्टर की है, जिसे उलापुर गाँव में नियुक्त किया जाता है. गाँव की सादगी और अकेलेपन में वह खुद को अलग-थलग महसूस करता है. इसी बीच, एक अनाथ लड़की रतन उसकी सेवा करने लगती है और उसमें अपने परिवार का अहसास खोजती है. धीरे-धीरे दोनों के बीच एक भावनात्मक जुड़ाव बन जाता है. लेकिन जब पोस्टमास्टर गाँव छोड़ने का फैसला करता है, तो रतन की उम्मीदें टूट जाती हैं. बावजूद इसके, वह उसके लौटने की आस लगाए रखती है. यह नाटक उम्मीद, निराशा और कठोर वास्तविकताओं के बीच संघर्ष को बेहद संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत करता है. नाटक में सौरभ चक्रवर्ती, एरिना भौमिक, ग्रेसी चौधुरी और अनिरुद्ध विश्वास ने मुख्य भूमिकाएँ निभाईं. मंच परे अनन्या घोष ने प्रकाश और अनिरुद्ध विश्वास ने सेट डिज़ाइन की ज़िम्मेदारी संभाली. 

संवाद प्रवाह के अंतर्गत आयोजित विशेष सत्र के तहत 'रंगमंच और तकनीक' पर एक खास चर्चा हुई, जिसमें आर्ट इंस्टॉलेशन एक्सपर्ट युनुस खिमाणी और कम्प्यूटर साइंड स्कॉलर अर्थ ने अपने विचार साझा किए. संवाद का मॉडरेशन जोधपुर के वरिष्ठ नाट्य निर्देशक अरु व्यास ने किया.  बातचीत के दौरान उन्होंने इस पर चर्चा की कि जब कला और तकनीक मिलती हैं, तो क्या बदलाव आते हैं और इससे नए क्या प्रयोग किए जा सकते हैं. इस दौरान एक आर्ट प्रोजेक्ट प्रदर्शित किया गया जो कला और तकनीक का बेहतरीन उदाहरण दिखाई दिया. इसके अंतर्गत युनुस खिमाणी द्वारा बनाई गई पेंटिंग प्रदर्शित की गई जो निराशा की भावना को दर्शाती है और अर्थ ने पेंटिंग पर लाइट व साउंड टेक्नोलॉजी को इन्स्टॉल किया जिसे आवाज, मूड और ध्वनियों से कंट्रोल किया जा सकता था। इस तकनीक ने कलात्मक प्रोजेक्ट को और भी प्रभावशाली बनाया जिससे दर्शक कला व तकनीक का संगम अनुभव कर पाए. चर्चा के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि थिएटर और कला में तकनीक का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है और इससे परफॉर्मेंस को नया रूप दिया जा सकता है। थिएटर में तकनीकी बदलावों और नए प्रयोगों पर भी चर्चा हुई.