Rajasthan Film Festival: राजस्थान फिल्म फेस्टिवल में बोले अरबाज खान- आज रीजनल सिनेमा ने देश की तस्वीर बदली है

अविनाश पाराशर। स्मिता बंसल बोली- बालिका वधु ने राजस्थानी संस्कृति को अच्छे दिखाया, फिल्मों ने राजस्थान का कद बढ़ाया पुनीत इस्सर बोले- बतौर एक्टर मैंने कई रीजनल फिल्में की, इससे मेरा अभिनय कौशल बढ़ा है

Rajasthan Film Festival: राजस्थान फिल्म फेस्टिवल में बोले अरबाज खान- आज रीजनल सिनेमा ने देश की तस्वीर बदली है

Ananya soch: Rajasthan Film Festival 

अनन्य सोच। Rajasthan Film Festival: राजस्थान फिल्म फेस्टिवल (आरएफएफ) (Rajasthan Film Festival) ( के तहत शनिवार को Royal Orchid में  भारतीय क्षेत्रीय सिनेमा की विविधता को सेलिब्रेट करते हुए talk show हुआ. टॉक शो में प्रसिद्ध Actor Arbaaz Khan, Balika Vadhu fame actress Smita Bansal, senior actor Puneet Issar, Karthik Soundararajan from Tamil Nadu, director (Vadakkupatti Ramasamy), Linda Hepzibah Kasturi Alexander from Kerala, Vinod Menon from Kerala, producer (Rani the real story), Zarine Shihab, actress (Aattam), Ravichandra Az from Karnataka, producer (Blink), Prasad Poojary, director (Balipe), Hemant Surana, producer (Balipe), Praveen Tyade from Maharashtra, producer (Satyashodhak), Nilesh Jalamkar, director (Satyashodhak), Azhar from Gujarat, writer (Itta Kitta), Antima, writer (Itta Kitta), Shravan Sagar, Mahendra from Rajasthan were present. Rajasthani writer Charan Singh Pathik, culture head of Stage App Renu Rana and Hiren Sethia भी टाॅक शो में मौजूद रहे. फेस्टिवल की फाउंडर संजना शर्मा और प्रोग्रामिंग हैड अनिल जैन ने बताया कि  यह टॉक शो क्षेत्रीय सिनेमा के विकासशील परिदृश्य पर अमूल्य जानकारी प्रदान करने वाला साबित हुआ। ओटीटी और सिनेमा के बीच की दूरी को इस टॉक शो ने खत्म किया. 

Actor Arbaaz Khan ने कहा कि कोविड से पहले मेरे पास दो-तीन OTT platforms के सब्सक्रिप्शन थे. मेरे पास नेटफ्लिक्स जब आया था, तब से मेरे पास मौजूद था. वह मेरे पास 5 साल से था, जो मैंने 5 साल में नहीं देखा था.  वह मैंने कोविड के दौरान डेढ़ साल में देख लिया था। उससे क्या हुआ कि, मैंने वर्ल्ड सिनेमा को एक्सप्लोर किया. उसमें भाषायी विरोध नहीं था, क्योंकि सबटाइटल फिल्मों के साथ मौजूद थे. ऐसे समय में लोगों ने भी सिर्फ हिंदुस्तानी फिल्में नहीं, कई जगह की डब फिल्में भी देखी। यहां से टेस्ट बढ़ने लग गया. 

इसके बाद दर्शक उन फिल्मों के लिए सिनेमा घर जाने लगा, जो कंटेंट से लबरेज थी. एंटरटेनमेंट के नाम पर कुछ दशक पहले हिंदुस्तान में चंद सिनेमाघर के अलावा सर्कस ही था. आज सिनेरियो को बदल गया है, आज कॉमेडी से लेकर म्यूजिक डांस कई तरह के लाइव परफॉर्मेंस लोगों के सामने हैं तो ऐसे में लोगों को कई ऑप्शन एंटरटेनमेंट के मिल रहे हैं. ओटीटी ने तो लोगों को अलग से ऑप्शन भी दे दिया है, जिसमें रिमोट उनके हाथ में है. जिस कंटेंट को वह देखना चाहते हैं उसे ही वह देखेंगे. ऐसे में कंटेंट है किंग हो गया है. बड़े-बड़े स्टार्स की सिनेमाघर में फिल्में फ्लॉप हो गई हैं. आज की ऑडियंस बहुत सिलेक्टिव हो गई है. आज वर्ड ऑफ माउथ सबसे बड़ा प्रमोशन बिंदु बन गया है. 

अरबाज ने कहा कि मैंने राजस्थान में बहुत सारी शूटिंग की है। जोधपुर में और जयपुर में. एक फिल्म थी ताजमहल उसकी शूटिंग के लिए भी मैं कई बार यहां आया. बहुत लोगों को यह मालूम है कि अधिकांश फिल्मों की शूटिंग मुंबई में होती है. फिल्म सिटी और मुंबई की लोकेशन के अलग-अलग पर. अब छोटे-छोटे स्मॉल टाउन जगह हो की कहानियों पर फिल्में बन रही हैं. थोड़ी सी रिलेटेबल स्टोरी पर बनाई जा रही हैं तो उसके लिए लोग सही जगह की तलाश करते हैं और वहां पर शूट करते हैं. पंजाब, यूपी, मध्य प्रदेश या साउथ की कहानी है तो वहां पर ही जाकर उसे प्रोजेक्ट को शूट किया जा रहा है. मैंने पटना शुक्ला फिल्म बनाई. मैंने उसकी शूटिंग भोपाल में की और उसका मुझे बहुत अच्छा रिस्पांस मिला. 

भोपाल की एक बात जरूर में कहना चाहूंगा कि वहां सबसे शानदार शूटिंग का माहौल है. हमें शूटिंग के दौरान कभी परेशान करने नहीं आए। हम रात को भी शूटिंग करते थे तो कोई दिक्कत नहीं होती थी. भोपाल में बहुत सारी फिल्में बनती है, ऐसे में मेरा मानना है कि मुंबई के बाद वह दूसरी फिल्म सिटी है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश फिल्मों को सब्सिडी भी ही दे रहे हैं उनके साथ कहीं और स्टेट भी हैं जो इस तरह के प्रोत्साहन फिल्मकारों को दे रहे हैं. इसके बेहतर रिजल्ट भी उन स्टेटस में देखने को मिल रहे हैं. राजस्थान की बात की जाए तो यहां पर कितनी लोकेशन है जहां पर फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है. सच्ची कहानियों के लिए राजस्थान सबसे उपयुक्त माना जाता है. मैं भी बहुत सारी लोकेशन एक्सप्लोर कर चुका हूं. 

राजस्थानी फिल्म करने के सवाल पर अरबाज ने कहा कि बतौर फिल्ममेकर हमारे लिए सिर्फ स्टोरी मैटर करती है। जिस ऐरिया में आपकी पकड़ होती है, आप उसी में करना पसंद करते हैं. मुझे हिन्दुस्तानी यानी बॉलीवुड फिल्मों में इंटरेस्ट है, उसमें हमें साउथ का डायरेक्टर या कही और का डायरेक्टर मिल जाता है और कहता है कि यह मैं अच्छे से कर पाउंगा. अगर ऐसा राजस्थान के संबंध में हुआ तो यहां भी फिल्म जरूर करूंगा. 
  एक्ट्रेस स्मिता बंसल ने कहा कि जिस तरह से फिल्मों में राजस्थान को दिखाया गया है, उससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता. हमारे कल्चर को दुनिया भर में फिल्मों की वजह से पसंद किया जाता है. मैं इससे खुश हूं कि राजस्थानी कल्चर को बहुत अच्छे तरीके से फिल्मों में दिखाया गया है. गुजराती और राजस्थानी दो ऐसे कल्चर हैं, जिन्हें फिल्मों में अच्छे से यूज किया गया है. मैंने बालिका वधू टीवी सीरियल में काम किया है और उसमें भी बेहतर तरीके से राजस्थान को दिखाया गया. इसके लेखक भी जयपुर से बिलॉन्ग करते थे और इसके कुछ कलाकार भी जयपुर से जुड़े हुए थे. ऐसे में राजस्थानी संस्कृति को अच्छे से पोट्रे किया जा सका. 
स्मिता बंसल ने कहा कि सिनेमा की सबसे बड़ी ताकत दर्शक ही होते हैं, अगर उन्होंने आपके प्रोजेक्ट को एक्सेप्ट कर लिया तो आपकी प्रगति को कोई नहीं रोक सकता. अब हर रीजन की फिल्में लोग पसंद कर रहे हैं और उन्हें सम्मान भी दे रहे हैं. मैंने सिर्फ रीजनल में एक राजस्थानी फिल्म की है जिसे बहुत खूबसूरत तरीके से बनाया था. हालांकि दर्शक सिनेमा घर तक नहीं पहुंच सके, इसका क्या कारण रहा यह तो मैं नहीं समझ पाई लेकिन आज कई रीजनल स्टेट अपनी फिल्मों को बड़े लेवल पर लोगों के सामने ला रहे हैं यह एक अच्छी बात है. 

एक्टर पुनीत इस्सर ने कहा कि मैंने भारत की कई भाषा में फिल्में की है। तमिल में की है, मलयालम में की है, कन्नड़ की है, पंजाबी की है. मैंने एक फिल्म राजस्थानी में भी की है और हिंदी भी की है. ऐसे में मुझे इन जगहों के कल्चर की जानकारी भी मिली है, जो बतौर एक्टर मेरे लिए एक अच्छा कदम रहा है. हमारे देश का कल्चर दुनिया का सबसे रिच कल्चर है. ऐसे में रीजनल भाषाओं में बनने वाली फिल्में इस कल्चर को और खूबसूरत बना देती हैं. 
पुनीत इस्सर ने कहा कि रीजनल सिनेमा को मेरे हिसाब से आप लोगों को रीजनल नहीं कहकर हिंदुस्तानी सिनेमा कहना चाहिए. क्योंकि वे रीजनल नहीं, वह बेहतरीन फिल्में बनाते हैं. वह हमारे हिंदुस्तान की जमीन की कहानी लेकर आते हैं वह वेस्टर्न कहानियों को लेकर नहीं आते वह भी कहानी लेकर आते हैं जो कनेक्ट करने वाली होती है.