Bhagatsingh jayanti: भगत सिंह सोचते थे क्रांति की शान को चार बनाने के लिए विचारों की आवश्यकता

Bhagat Singh Jayanti Special News: शहीद भगत सिंह जयंती 28 सितंबर गुरुवार को देशभर में मनाई गई. भगतसिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के लगालपुर के बांगा (अब पाकिस्तान में) गांव के एक सिख परिवार में हुआ था. भगतसिंह को 23 मार्च, 1931 को सुखदेव और राजगुरु के साथ फांसी दी गई.

Bhagatsingh jayanti: भगत सिंह सोचते थे क्रांति की शान को चार बनाने के लिए विचारों की आवश्यकता

AVINASH PARASAR

Ananya soch: Bhagatsingh jayanti

अनन्य सोच, जयपुर। Bhagatsingh jayanti: शहीद भगत सिंह की  इस जयंती पर भगतसिंह की कुछ अनुसनी कहानियों को प्रोफेसर प्रकाश चतुर्वेदी ने अनन्य सोच से साझा किया. चतुर्वेदी ने कहा कि मैं अगस्त 1979 से 1980 तक एक स्टडी टूर में मास्को गया था. चतुर्वेदी ने बताया कि भगत सिंह फांसी की सजा से कुछ दिन पहले जेल में पढ़ रहे थे। जेल में रहते हुए उन्होंने अंग्रेज शासकों से पढ़ने की सामग्री की डिमांड की थी. भगतसिंह ने अपने जीवन काल में युवाओं के लिए दो संस्था बनाई थी. भगतसिंह ने दुनियाभर में ऐसे क्रांतिकारी लोगों के साहित्य पढ़े, जिन्होंने अपने-अपने देशों के लिए आंदोलन किया था. इस दौरान वो उनसे नोट्स लेते गए और वो ही उनकी नोट बुक बन गई थी. बाद में जाकर ये भगतसिंह नोट बुक बन गई थी. फांसी के बाद उनका सामान परिवार को दे दिया गया था. भगतसिंह का एक भाई था कुरताल सिंह कुरताल सिंह ने इंदिरा गांधी को वो नोट्स बुक भेंट कर दी. भीड़ में चलते समय वो नोट बुक इंदिरा जी के हाथ से गिर गई. पुलिस ने उनको उठा कर सुरक्षित कर लि गया। उस समय सोवियत एम्बेसी हुआ करती थी. 

सोवियत एम्बेसी में मित्रोखिन को पता चला की भगतसिंह की नोट बुक पुलिस के पास है. उसको पुलिस से प्राप्त कर ली  मेरे सुपरवाइजर देवेन्द्र कौशिक की मित्रता मित्रोखिन के साथ बहुत अच्छी थी. जब वो हिन्दुस्तान थे. मित्रोखिन मास्को चले गए. जब मैं मास्को गया तो कौशिक ने नोट बुक को प्राप्त करने के लिए कहा. वहां पहुंच कर मित्रोखिन का पता लगा कर पहुंचा. मित्रोखिन ने दोपहर का खाना मेरे लिए बनाया. उसके बाद नोट बुक को मुझे देने का आग्रह किया. उन्होंने मुझे ये कॉफी दे दी. वो कॉफी टाइप हुई थी. रूस भाषा में उसमे कंटेंट लिखा हुआ था. देश के एक पूर्व आईएएस पी हुजा भगतसिंह पर किताब प्रकाशित करवाने की सूचना मिली. उन्होंने मुझसे नोट बुक देने की बात कही. उनकी पुस्तक में इस नोट बुक के कुछ अंश लिए गए थे. भगतसिंह को नोटबुक से उसके विचार पता चलते हैं कि वी केवल गोली नहीं चलाता था. वो समाज में परिवर्तन चाहता था. उसने बहुत सारे क्रांतिकारियों का अध्ययन कर उनके नोट्स लिए थे. भगतसिंह पूरे देश के बारे में सोचता था. वो सोचते थे कि क्रांति की शान को चारचार बनाने के लिए विचारों की आवश्यकता है. आज के दौर में भगतसिंह के विचारों पर ध्यान नहीं दिया जाता है.