आखा तीज के अबूझ सावे पर सैंकड़ों जोड़े बधेंगे परिणय सूत्र में

आखा तीज के अबूझ सावे पर सैंकड़ों जोड़े बधेंगे परिणय सूत्र में

Ananya soch: Hundreds of couples will tie the knot on the auspicious occasion of Akha Teej

अनन्य सोच। अक्षय तृतीया 29-30 अप्रैल के अबूझ सावे पर जयपुर जिले में सैंकड़ों जोड़े परिणय सूत्र में बधेंगे. राजधानी के सभी प्रमुख होटल, बैंक्वेट हॉल, सामुदायिक केन्द्र और मैरिज गार्डन पहले से ही बुक हो चुके हैं. इसके बाद 12 मई को पीपल पूर्णिमा का अबूझ सावा रहेगा. ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार अप्रैल से 6 जुलाई तक विवाह संस्कार के लिए शुभ समय है. कुल 22 सावे और 6 अबूझ सावे इस अवधि में आ रहे हैं, जिससे विवाह आयोजनों की जबरदस्त रौनक देखने को मिल रही है. अप्रैल के महीने में किसानों द्वारा अपनी रबी फसल की कटाई पूरी कर लेने के बाद वे अब विवाह की तैयारियों में जुट गए हैं. खेतों की थकान और मेहनत के बाद अब उत्सव का दौर शुरू हो चुका है. कपड़ों, गहनों, सजावट और मिठाइयों की दुकानों पर खरीददारों की भीड़ लगी हुई है. गार्डन, टेंट हाउस और कैटरर्स की बुकिंग भी लगभग फुल हो चुकी है. शादी-विवाह के इस शुभ मौसम में न केवल सामाजिक समरसता देखने को मिलती है, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी एक नई रफ्तार मिलती है. 

जैन धर्म में भी है इस दिन की मान्यता:

जैन धर्म की मान्यता के अनुसार प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने एक वर्ष की तपस्या करने के बाद वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अर्थात अक्षय तृतीया के दिन इक्षु रस यानी गन्ने के रस से अपनी तपस्या का पारणा किया था. इस कारण जैन समाज में यह दिन विशेष माना जाता है. इसी मान्यता को लेकर आज भी अक्षय तृतीया का उपवास गन्ने के रस से तोड़ा जाता है. यहां इस उत्सव को पारणा के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्मावलंबी भगवान ऋषभदेव को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं.