Niroj Restaurant: 75 वर्ष का हुआ 'निरोज'

Niroj Restaurant: 75 वर्ष का हुआ 'निरोज'

Ananya soch: Niroj Restaurant

अनन्य सोच। Niroj Restaurant: जयपुर के निरोज रेस्टोरेंट के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि निरोज अपनी पाक उत्कृष्टता के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं. स्वर्गीय वेद प्रकाश परडल एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने वर्ष 1949 में निरोज की स्थापना की. समय की कसौटी पर खरा उतरते हुए निरोज आज शहर में एक ब्रांड बन चुका है, जो लंबे समय से शहर के ही नहीं बल्कि विश्वभर से खाने के शौकीन लोगों की पसंद बना हुआ है.

पंजाब के किसान और ज़मींदारों के परिवार से आने वाले वेद प्रकाश परडल की यात्रा रावलपिंडी से शुरू हुई, जहां उन्होंने मैट्रिक स्तर तक की शिक्षा पूरी की. 1943 में, वे दिल्ली चले गए और क्वालिटी रेस्टोरेंट के मालिक,  लांबा और घई को अपना रेस्टोरेंट चलाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यहीं पर उन्होंने मशहूर पिंडी चना को अपने मेन्यू में शामिल किया.

18 हजार रुपये के शुरुआती निवेश और अपनी पत्नी मोहिनी परडल के मजबूत सहयोग के साथ, जिन्होंने रेस्टोरेंट खोलने में मदद करने के लिए अपने गहने भी बेच दिए, निरोज की जयपुर में अगस्त 1949 में शुरुआत हुई. राजस्थान के पहले शिक्षा मंत्री हनुत सिंह द्वारा उद्घाटन किए गए निरोस ने पहले दिन महज 90 रुपये की मामूली बिक्री की. तब किसी को भी नहीं पता था कि यह मामूली शुरुआत गुलाबी शहर में पाक कला की एक पहचान बन जाएगी.

निरोज ने पिछले कई दशकों में बदलती पाक परिदृश्य और पसंद के बीच तालमेल बैठाते हुए मेन्यू में समय-समय के साथ नए बदलाव किए हैं और भोजन की गुणवत्ता एवं सेवा के उच्चतम मानकों को बनाए रखा है.

कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के दौरान रेस्टोरेंट ने अपनी मजबूती दर्शायी. लॉकडाउन के जोखिम के बावजूद, निरोज ने उसी दृढ़ता, धैर्य और समर्पण के साथ अपने संरक्षकों की सेवा जारी रखी, जिस भावना के साथ वेद प्रकाश परडल ने इसकी शुरूआत की थी.

रेस्टोरेंट के मेन्यू में आज भी 1949 के मूल व्यंजन शामिल हैं, साथ ही युवा पीढ़ी की पसंद को देखते हुए नए व्यंजन भी शामिल किए गए हैं. परंपरा और नवीनता के इस मिश्रण ने पीढ़ियों से रेस्टोरेंट में आने वाले के परिवारों को जीवन भर की यादें संजोने का अवसर दिया है.

इस प्रतिष्ठित रेस्टोरेंट का प्रबंधन अब वेद प्रकाश परडल के बेटों विनय और राजनीश एवं पोते हमित द्वारा कुशलतापूर्वक किया जा रहा है. यह उनके लिए 'लेबर ऑफ लव' है. 

निरोज की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और अर्थशास्त्री योगिंदर के अलघ ने लिखा: " "जयपुर में, 1958 में कॉलेज और बुद्धिजीवियों के बीच निरोज रेस्टोरेंट की एक अलग ही पहचान थी. वहां आप जब तक चाहें बैठ सकते हैं और जितनी चाहें उतनी सस्ती कॉफी पी सकते हैं। निरोज के मालिक मुझे जानते थे और मैंने कहा कि यह आर्थिक रूप से समझदारी नहीं है. तब उन्होंने कहा कि इससे बहुत अच्छा माहौल बनता है और अन्य लोग भी यहां आते हैं. 

मान स्ट्रक्चरल्स के किशोर रूंगटा याद करते हुए बताते है: "1951 में, न केवल राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन को संभालने और चलाने का विचार निरोज रेस्टोरेंट में बैठे-बैठे उभरा, बल्कि हमारी प्रमुख कंपनी, मान इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन का नियंत्रण भी हमारे हाथों में आ गया. जैसा कि कहा जाता है, कुछ स्थान आपके लिए भाग्यशाली होते हैं और निरोज ने यह साबित भी किया. 

जनवरी 1961 में क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप की जयपुर यात्रा के बाद, पर्यटकों के बीच शहर की लोकप्रियता बढ़ गई. हमेशा से दूरदर्शी रहे, वेद प्रकाश परडल ने 1962 में मुंबई से एक आर्किटेक्ट को निरोज के नवीनीकरण का कार्य सौंपा, जिसके बाद यह जयपुर का पहला वातानुकूलित रेस्टोरेंट बन गया. उसी वर्ष ही, निरोज राजस्थान का पहला रेस्टोरेंट बन गया जिसे भारत सरकार की नवगठित 'होटल क्लासिफिकेशन कमेटी' द्वारा स्टार श्रेणी के प्रतिष्ठान के रूप में वर्गीकृत किया गया. 

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने याद किया कि "उन दिनों जब मैं एसएमएस मेडिकल कॉलेज का छात्र था, तब मुझे और मेरे दोस्तों को अक्सर उस रेस्टोरेंट में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, विशेषकर रविवार को, जब हमारे अस्पताल का मैस बंद रहता था. उस समय निरोज का खाना, माहौल और सर्विस कहीं और नहीं थी. अब भी, जब मैं राजस्थान जाता हूं और जयपुर में होता हूं, तो मुझे निरोज में खाना खाना बहुत पसंद है. 

निरोज अपनी 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, यह न केवल पाक कला का उत्सव है, बल्कि उन भावनाओं और यादों का भी उत्सव है जो इस रेस्टोरेंट से जुड़ी हैं। कई लोगों के लिए निरोज खुशनुमा पलों को फिर से जीने और नए पल बनाने के लिए उपयुक्त स्थान है. 

निरोज की यात्रा वास्तव में गुलाबी नगर के पाक इतिहास का एक अभिन्न अंग है। बग्गी और ऊंटों पर सवार होकर आने वाले मेहमानों से लेकर वर्तमान में एमआई रोड पर लग्जरी कारों की की भीड़ तक, निरोज से जुड़ी यादें जितनी संजोई गई हैं, उतनी ही विविध भी हैं। बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, ब्यूरोक्रेट्स और राजघरानों ने यहां असीमित चाय और कॉफी का आनंद लेते हुए अनगिनत घंटे बिताए हैं.