Natak prahari: युद्ध में केवल इंसानियत की होती है हार
Natak prahari: सरहद पर तैनात सैनिकों की दशा को लेकर आया नाटक प्रहरी
Ananya soch: Natak prahari
अनन्य सोच। Natak prahari: जयपुर के मंच पर कलाकारों ने कला के जरिए कई सवाल छोड़े और नाटके के जरिए बताया, कि युद्ध में मनुष्य जीतने का भ्रम पालता है लेकिन सदैव मानवता हारती है. वहीं अभिनय के जरिए जब पूछा गया, कि क्या युद्ध ही सभी समस्याओं का समाधान है? तो दर्शक भी मौन नजर आए. फिर कला के जरिए नाटक से मैसेज देने का सिलसिला देर तक चला. मौका था रवींद्र मंच के 60 वर्ष पूर्ण होने पर हीरक जयंती महोत्सव में कला व संस्कृति विभाग तथा रवींद्र मंच की ओर से टैगोर थिएटर योजना में मार्मिक और सामाजिक नाटक प्रहरी के मंचन का.
नाटक के लेखक हेमचंद्र ताम्हणकर हैं तो निर्देशन जयपुर की युवा रंगकर्मी अर्शिया परवीन ने किया.
नाटक प्रहरी में क्या युद्ध ही सभी समस्याओं का समाधान है? के सवाल के बाद बात आई, कि अगर नहीं तो क्यों होते हैं युद्ध? क्यूं दो देश अपने आर्थिक विकास के स्थान पर एक-दूसरे से शत्रुता रखते हैं?
सैनिकों का आपसी द्वंद रहा प्रहरी:
हमारा पड़ोसी मुल्क जो हमारा ही हिस्सा था सह आज अनावश्यक कारणों से हमसे शत्रुता रखता है. शौर्य और पराक्रम में हमसे कमजोर होने के कारण आए दिन आतंकवादी हरकतों से दहशत फैलाने की कोशिश करता है. ऐसे में दोनों देशों की सरहदों पर तैनात सैनिकों का आपसी द्वंद है प्रहरी. आखिर फौजी भी इंसान हैं और उसमें भी भावनाएं हैं. युद्ध ना होने की स्थिति में तैनात सैनिकों की क्या मानसिक स्थिति होती है को नाटक के जरिए दर्शाया गया. इस दौरान कला प्रेमियों ने भी कई सवाल अपने मन में उठाए जिनके जवाब शायद कला के जरिए कलाकारों ने दिए और सबको सोचने पर मजबूर करते हुए भावुक कर दिया.
इन्होंने किया जीवंत अभिनय:
हेमचंद्र ताम्हणकर, श्वेता शर्मा क्रिस्टी, शुभम, आयुष, राहुल नेहरा, घनश्याम व कृष शर्मा ने जीवंत अभिनय किया.
रवींद्र मंच मैनेजर सोविला माथुर ने बताया, कि नाटक प्रहरी का मंचन खास रहा. इस दौरान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, दर्शक, कला प्रेमी व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे। दर्शकों का प्रवेश नि:शुल्क रहा.