Rajkamal book festival: जवाहर कला केन्द्र में राजकमल किताब उत्सव का दूसरा दिन

नवल पांडेय। किताबें अनुभव के संसार को बड़ा करती हैं : डॉ. विनय कुमार - साहित्य हमें अधिक कार्यशील बनाता है : डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी - साहित्य हमें अंगुली पकड़कर चलाता है : प्रियंका जोधावत - बड़े फ़ैसले लेने में संवेदनशीलता का होना ज़रूरी : मनोज कुमार शर्मा

Rajkamal book festival: जवाहर कला केन्द्र में राजकमल किताब उत्सव का दूसरा दिन
Ananya soch:  Rajkamal book festival
अनन्य सोच। Rajkamal book festival: राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा Jawahar Kala Kendra में आयोजित किताब उत्सव में दूसरे दिन बड़ी संख्या में शहर के पुस्तक प्रेमियों ने शिरकत की. दोपहर बाद चार सत्रों में कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें विभिन्न विषयों और किताबों पर बातचीत हुई. 
कार्यक्रम के पहले सत्र में प्रतिष्ठित मनोचिकित्सक डॉ. विनय कुमार ने हमारे जीवन में और मानसिक स्वास्थ्य के लिए ‘किताबों की जरूरत’ पर व्याख्यान दिया. उन्होंने कहा, किताबें भीतरी और बाहरी दुनिया के समन्वय का कार्य करती हैं. वे व्यक्ति को बाहर और भीतर से जोड़ती है. आदिम काल से भाषा का विकास तो हो रहा था परन्तु संवाद नहीं हो रहा था. हमने संस्कृति की रचना की और अब संस्कृति हमारे दिमाग़ का विकास कर रही है. 
आगे उन्होंने कहा, किताबें अनुभव के संसार को बड़ा करती हैं. यात्रा वृत्तांत पढ़कर आपको लगता है कि आपने उस स्थान की यात्रा कर ली. किताबें हमें दुनिया से मिलाती हैं लेकिन सबसे ज़रूरी यह है कि किताबें हमें ख़ुद से मिलाती हैं. कुछ किताबों में तथ्य और आंकड़े होते हैं लेकिन कुछ किताबें रचनाकार के भीतर से, समाज और जीवन के अनुभवों से निकलती हैं. किताबें हमारी स्वयं के भीतर उतरने में मदद करती हैं. किताबों के माध्यम से लेखक और पाठक आत्मसात हो जाते हैं. 

अगले सत्र में ‘साहित्य हमें स्वप्न देता है’ विषय पर परिचर्चा हुई. इस सत्र में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी जितेन्द्र कुमार सोनी, प्रियंका जोधावत और लेखक मनोज कुमार शर्मा ने विषय पर अपना वक्तव्य दिया, वहीं सत्र का संचालन अरुण जोशी ने किया.
इस दौरान जितेन्द्र कुमार सोनी ने कहा कि साहित्य हमें अधिक कार्यशील बनाता है. वह हमें आहत को राहत देने के लिए सक्षम बनाता है. मैंने अपने प्रशासनिक जीवन में जो भी अच्छे कार्य मैंने किए, वो साहित्य की ही देन है. 
आगे उन्होंने कहा, साहित्य को दर्पण कहना अन्याय है. साहित्य भीतरी और बाहरी दोनों पहलू दिखाता है. निर्मल वर्मा साहित्य आपको पानी तो नहीं देता, प्यास का अनुभव करवाता है. एक साहित्यकार मिथकों को तोड़ने का कार्य करता है। इसके बाद उन्होंने ‘घड़ी’ शीर्षक कविता का पाठ किया. 

प्रियंका जोधावत ने कहा, साहित्य हमें अंगुली पकड़कर चलाता है. हम जिससे प्रभावित होते हैं वही साहित्य के रूप में हमारे सामने होना चाहिए. वह स्वान्त सुखाय: होना चाहिए. मैं हमेशा ख़ुद के लिए लिखती हूँ. इसके बाद उन्होंने स्वरचित पंक्तियाँ ‘कामायनी और मैं’ पढ़कर सुनायी.

मनोज कुमार शर्मा ने कहा, बड़े फ़ैसले लेने में संवेदनशीलता का होना बहुत ज़रूरी है. जीवन में साहित्य का पुट नहीं होगा तो जीवन अधूरा होगा। साहित्य हमें संवेदनशील बनाता है, निर्णय लेने सक्षम बनाता है. साहित्य मस्तिष्क के लिए भोजन का काम करता है. साहित्यकार हर युग में जीवित रहेगा. सत्र के अंत में उन्होंने ‘यह ग़लत बात है’ कविता का पाठ किया. 

तीसरा सत्र मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार की किताब ‘मीडिया का लोकतंत्र’ पर बातचीत का रहा. इस सत्र में जाने-माने पत्रकार राजेन्द्र बोड़ा, लेखक तसनीम और विनीत कुमार ने किताब पर बातचीत की। सत्र का संचालन नवीन चौधरी ने किया. 

इस दौरान राजेन्द्र बोड़ा ने कहा, ‘मीडिया का लोकतंत्र’ किताब बताती है कि एक लोकतंत्र का मीडिया कैसा होना चाहिए। हिन्दी में मीडिया पर ऐसी पहली किताब आई है, जिस पर मैं गर्वित महसूस कर रहा हूँ. ऐसी किताबें अंग्रेजी में आती रहती हैं लेकिन हिन्दी में ऐसी किताबें नहीं आतीं। इस किताब का हिन्दी में आना मेरे लिए ख़ुशी की बात है. 

किताब के लेखक विनीत कुमार ने कहा, मैं जानता हूँ, सभी को सेल्फी जर्नलिस्ट नहीं बनना है। हमारा काम बहुमत से आक्रांत होने का नहीं है. हम जिस पेशे से हैं, हमारा काम हमेशा अल्पमत के साथ खड़े रहने का है। दबी हुई आवाज़ को सामने लाने का है.

उन्होंने कहा, इंसान जब भ्रष्ट होता है तो सबसे पहले उसकी भाषा भ्रष्ट हो जाती है। बड़े-बड़े एडिटर्स की भाषा ऐसी हो गई है जिससे हिन्दी को नुकसान हुआ है  मैं ऐसे सैंकड़ों पत्रकारों को जानता हूँ जिनके मन में लालच नहीं है परन्तु उनकी मीडिया हाउस में जगह भी नहीं है. लालच के पीछे का सच और मज़बूत इरादों पर बात होनी चाहिए। सोशल मीडिया के माध्यम से पत्रकारिता कर रहे युवाओं के जीवन पर ख़तरे भी बहुत हैं. 

तसनीम ने कहा, आजकल सरकारी हों या प्राइवेट सभी न्यूज़ चैनल में एक ही तरह से आक्रामक दिखाई देते हैं. यह आक्रामकता अब टीवी से निकल कर बाहर आ गई है। मीडिया में अब अर्बन नक्सल, राष्ट्रवाद जैसे शब्द प्रचलन में हैं. 

चौथे सत्र में इतिहासकार और प्रिंस्टन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ज्ञान प्रकाश की किताब ‘आपातकाल आख्यान : इन्दिरा गांधी और लोकतंत्र की अग्निपरीक्षा’  पर बातचीत हुई. इस दौरान किताब के अनुवादक मिहिर पंड्या, जाने-माने पत्रकार त्रिभुवन और सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने किताब के सन्दर्भ में आपातकाल की परिस्थितियों और उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बात की. 

बातचीत के दौरान त्रिभुवन ने कहा, आपातकाल पर प्रोफेसर ज्ञान प्रकाश की किताब हमें इतिहास के जरिए आज का चेहरा दिखाती है. किताब के अनुवाद की तारीफ़ करते हुए उन्होंने कहा, भाषा का अर्थ यह नहीं है कि आप उसका शाब्दिक अर्थ करें, बल्कि आप इस यात्रा का अनुभव करें जहाँ लेखक आपको ले जाना चाह रहा है. ऐसी किताबें गिनती की ही हैं जिनका अच्छा अनुवाद हुआ है। यह किताब उनमें से एक है. अच्छी किताबें पढ़ने वाले लोग नई पीढ़ी में ज़्यादा दिखाई देने लगे हैं। यह सुखद बात है. 

कविता श्रीवास्तव आपातकाल आख्यान पर बात करते हुए कहा यह किताब बहुत रिसर्च के साथ लिखी गई है इसलिए इसमें सबकुछ प्रमाणिक है. यह किताब कहती है कि आपातकाल को लोकतंत्र के इतिहास के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे संविधान के विकास के रूप में देखा जाना चाहिए. 

अनुवादक मिहिर पंड्या ने अपनी बात रखते हुए कहा, यह किताब इतिहास के हर दौर में चल रही उथल पुथल का वर्णन करती है. लेखक ने पश्चिम की समकालीन घटनाओं को भी भारतीय परिप्रेक्ष्य से जोड़कर समझाने की कोशिश की है. 

किताब उत्सव में कल सोमवार को दोपहर 4 बजे से कार्यक्रम शुरू होगा. पहले सत्र में ‘सृजन, समाज और शिक्षा’ विषय पर परिचर्चा होगी, जिसमें डॉ. राघव प्रकाश, प्रो. राजीव गुप्ता और रोहित धनकड़ से प्रमोद बातचीत करेंगे. दूसरा सत्र नन्द चतुर्वेदी रचनावली के लोकार्पण और उनके कृतित्व चर्चा का होगा. जिसमें दुर्गाप्रसाद अग्रवाल, नन्द भारद्वाज, राजाराम भादू, रेणु व्यास, हेतु भारद्वाज और रचनावली के सम्पादक पल्लव की बातचीत होगी। तीसरे सत्र में ‘कथा का उर्वर प्रदेश : राजस्थान’ विषय पर परिचर्चा होगी. इस सत्र में बतौर वक्ता चरण सिंह पथिक, रजनी मोरवाल, रतन कुमार सांभरिया, संदीप मील, हरिराम मीणा से उमा की बातचीत होगी. अंतिम सत्र में अशोक राही, यशवंत व्यास, सम्पत सरल और संजय झाला के व्यंग्य पाठ होंगे। सत्र का संचालन अजय अनुरागी करेंगे.