विजयादशमी को अधर्म पर धर्म की जीत के साथ नाट्य उत्सव का समापन

युद्ध, भावनात्मक दृश्यों को बखूबी किया साकार

विजयादशमी को अधर्म पर धर्म की जीत के साथ नाट्य उत्सव का समापन
रोष-होश-जोश राम, भावना का कोष राम, प्रेम परितोष राम, राम गुणधाम हैं।’ श्री राम के गुणों के बखान के साथ बुधवार, 5 अक्टूबर को श्री राम चरित नाट्य की शुरुआत हुई। दशहरा नाट्य उत्सव के अंतिम दिन 17 प्रसंगों का वर्णन किया गया। राम दरबार की झांकी के बाद हर्षोल्लास के साथ पाॅंच दिवसीय दशहरा नाट्य उत्सव का समापन हुआ। दर्शकों की भीड़ व उत्साह ने जवाहर कला केंद्र के प्रयास और युवा कलाकारों की मेहनत पर सफलता की मुहर लगायी।
कुंभकरण की मौत से मचा कोहराम
अंतिम दिन का मंचन कई मायनों में खास रहा। कुंभकरण को जगाने के दौरान जहां कलाकारों ने दर्शकों को गुदगुदाया वहीं कुंभकरण व रावण की वार्ता ने नीतिगत सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। विभीषण के संवादों के जरिए धर्म की उचित व्याख्या का प्रयास किया गया, वहीं कुंभकरण ने भाइयों के बीच संबंधों का वर्णन किया। भीषण युद्ध के बाद कुंभकरण की मौत लंका में कोहराम मचा देती है। लक्ष्मण और इंद्रजीत के बीच युद्ध के दौरान इंद्रजीत के दिव्य रथ को बड़ी बखूबी दिखाया गया। अंततः तलवारों के टकराव से निकली चिंगारियों ने इंद्रजीत को लील लिया। 
राम नाम के साथ रावण चले हरि धाम...
राम और रावण का युद्ध देखकर दर्शक रोमांचित हो उठे। विजयादशमी के दिन रावण के वध के साथ अधर्म पर धर्म की जीत का संदेश दिया गया। ‘शुभ कार्य शीघ्र करना अच्छा, दुष्कर्म टले जितना टालो।’ रावण ने इसी संदेश के साथ राम नाम लेकर अपने प्राण त्यागे। 
लोक व शास्त्रीय नृत्य का संगम
राम सिया के मिलन पर सभी के आंसुु छलक गए। राम के राज्याभिषेक के साथ लोक नृत्य व शास्त्रीय नृत्य का अनूठा संगम भी देखने को मिला। पारंपरिक घूमर नृत्य, फिर भरतनाट्यम और कथक से महफिल सजी।