वाद्यों की जुगलबंदियों ने बिखेरी मिश्री सी मिठास
नवल पांडेय।
Ananya soch: The jugalbandi of instruments spread sweetness like sugar candy
अनन्य सोच। Jaipur Literature Festival: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन की शुरुआत भी आज कर्नाटक संगीत से शुरू हुई. मॉर्निंग म्यूजिक के तहत आज की प्रस्तुति चार युवा संगीतज्ञों के समूह “कर्नाटक क्वार्टल्स” ने दी. इस समूह में श्रेया देवनाथन वायलिन ,मलय एम कार्तिकेयन नागस्वरम, प्रवीण स्पर्श मृदंगम व अड्यार जी सिलमरासन थाविल बजाते हैं. ये चारों ही वाद्य दक्षिण भारतीय संगीत की परंपरा की अलग अलग शैलियों में प्रचलित हैं और इस ग्रुप ने इनके बीच एक खूबसूरत संयोजन किया है.
Jaipur Literature Festival में आज कार्यक्रम की शुरुआत इस ग्रुप ने टेम्पल म्यूजिक में प्रयुक्त राग मल्लारी की जुगलबंदी से की. मंदिर परिसरों में विभिन्न पवित्र धार्मिक आयोजनों के समय बजाए जाने वाला मल्लारी राग नागस्वरम और थाविल पर प्रस्तुत किया जाता है. उनकी दूसरी पेशकश थी सुबह के राग अहीर भैरव में संगीतबद्ध स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्र की संस्कृत रचना “पीब रे राम रसम रसने ,जनन मरण भय शोक विदूरम,सकल शास्त्र निगमागम सारं , जनन मरण भय सोक विदूरम, सकल शास्त्र निगमागम सारं !!
पिबरे राम रसम पिबरे राम रसम रसने ! पिबरे राम रसम ।
समूह की तीसरी प्रस्तुति रही “नोटस्वरम”। नॉटुस्वरम मुथुस्वामी दीक्षितर ( 18 वीं शताब्दी) द्वारा रचित कर्नाटक संगीत में 39 रचनाओं का एक समूह है जिन्हें कर्नाटक संगीत के त्रिदेव में से एक माना जाता है. बाद में उनके शिष्यों द्वारा कुछ अन्य नॉटुस्वरम जोड़े गए जो मूल विचार और उद्देश्य का पालन करते हैं। मद्रास (चेन्नई) में ब्रिटिश शासन के दौरान नॉटुस्वरम पूर्व और पश्चिम के बीच एक संपर्क के रूप में उल्लेखनीय हैं , जो पश्चिमी स्रोतों पर आधारित हैं, ज्यादातर स्कॉटिश और आयरिश धुनों से प्रेरित सरल धुनें हैं.
अगली पेशकश थी रबींद्र संगीत में रचित “अमार मल्लिका बानो जाखोन” जिसमें कर्नाटक वाद्य यंत्रों के साथ रबींद्र संगीत का मिश्रण बेहद मीठा बन पड़ा. सुबह की अंतिम प्रस्तुति रही राग देश तिलाना में पद्मश्री लालगुड़ी जयरामम की संगीतबद्ध रचना जिसे प्रायः भरतनाट्यम की प्रस्तुति के दौरान बजाया जाता है.