Pichhwai Art Workshop: पिछवाई आर्ट वर्कशाप में प्रदेश वासियों ने लिया बढ़ चढ़कर हिस्सा

पिछवाई हमारे तीज त्योहार से जुड़ी हुई है और आज भी प्रासंगिक है। यह ना सिर्फ़ धर्म व संस्कृति से ताल्लुक रखता है बल्कि हमारी संस्कृति को देश-विदेश में फैलता है। यह कहना था राजस्थान लघु उद्योग निगम के चेयरमेन एवं एक्सपोर्ट परमोशन काउंसिल के अध्यक्ष, राजीव अरोड़ा का जो दर्शनम आर्ट फेस्टिवल के दौरान पिछवाई आज की प्रासंगिकता है पर व्याख्यान दे रहे थे। दर्शनम व रघुकुल ट्रस्ट की ओर से कुकस स्थित, फेयरमांट होटल में पिछवाई आर्ट फेस्टिवल कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

Pichhwai Art Workshop: पिछवाई आर्ट वर्कशाप में प्रदेश वासियों ने लिया बढ़ चढ़कर हिस्सा

Ananya soch: Pichhwai Art Workshop

अनन्य सोच, जयपुर। अरोड़ा ने फेस्ट में कहा कि कैसे पिछवाई से हजारों आदमी अपनी जीविका निर्वाह करते है पहले पिछवाई  बाल स्वरूप में बनती थी जो कि नाथद्वारा में बनती थी जिनमें श्रीनाथजी के दर्शन व लिलाओं को को दर्शाया जाता था। बाद में पिछवाई गोलकुंडा में बनने लगी जिसमें कृष्ण लीलाओं को दिखाया गया। जयपुर संभाग में गोविंद देव जी का प्रचलन ज्यादा है, इस वजह से दर्शनम् आर्ट स्टूडियो के अध्यक्ष, विजेन्द्र बंसल ने सर्वप्रथम जयपुर के गोविंद देव जी की पिछवाई बनाई।

दर्शनम आर्ट फेस्टिवल के दौरान पिछवाई आर्ट वर्कशाप ‘पेंट एंड टेक अवे‘ का आयोजन भी हआ जिसमें प्रदेश वासियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। बच्चे, बुढ़े, माता पिता, सब पिछवाई बनाते दिखाई दिये, यहाँ तक कि होटल में रुके विदेशी सैलानियों ने भी। आर्टिसन्स एंड वर्क के तहत पिछवाई पेंटिंग नेचुरल कलर और सेमि प्रेसियस स्टोन्स सें वहीं बनायी गयी। पिछवाई कला के प्रख्यात आर्टिस्ट रामकृष्ण वर्मा व महेन्द्र शर्मा ने इस वर्कशाप को गाइड किया। जी एम, राजीव कपूर ने कहा कि वह राजस्थान की संस्कृति को संरक्षित करने के लिये, हमेशा तैयार है व पर्यटन के अमूर्त लाभ का फायदा स्थानीय कला समुदाय को देते रहेंगे। दर्शनम के अभिनव बंसल ने बताया कि उनके पिताजी विजेन्द्र बंसल ने 500 से ज्यादा लोगों को काम सिखाया व आगे भी वें पिछवाई प्रचार के लिए कमिटेड है। रघुकुल ट्रस्ट की चेयरमेन और दर्शनम आर्ट फेस्टिवल की क्युरेटर, साधना गर्ग, ने कहा कि जयपुर के 36 कारखाने है, जो कि महाराजा जयसिंह ने जयपुर की बसावट के समय स्थापित किये थे। वे उन्ही राजस्थान की जीवित परंपरा को बढ़ावा देना के तहत देनें के लिए हरदम तत्पर है।