Ravindra Manch: रवींद्र मंच पर खेला गया अनूठा नाटक दे गया संदेश
अविनाश पाराशर।
Ananya soch: Ravindra Manch
अनन्य सोच। Ravindra Manch: “चोर पुराण” में दिखाया गया है कि हर व्यक्ति एक चोर है, दर्शको से लेकर कलाकारों तक सभी सभागार में उपस्थित व्यक्ति से लेकर समाज के हर हिस्से या तबके से जुड़ा हर व्यक्ति सभी कुछ न कुछ चुराने की होड़ में इन दिनों न जाने क्या-क्या कर रहे है. ऐसे विचारों को कलाकारों ने मंच पर खूबसूरती से दर्शाया. मौका था रविंद्र मंच पर नाटक चोर पुराण के मंचन का.
नाटक सामाजिक और राजनीती में फैले भ्रष्टाचार के सिस्टम पर व्यंग्य था. कहानी में बताया है की एक व्यक्ति जब जन्म लेता है तो माता पिता चाहते है की उनका बेटा भी पढ़ लिख के बड़ा अफसर बने अच्छी नौकरी लगे और वो बेटा जाने अनजाने बन जाता है चोर जो खुद नही जानता की कैसे वो बन गया चोर. इसी सवाल के जवाब की तलाश में अपना जीवन जीने लगता है. एक दिन उसे एक लड़की से प्यार हो जाता है, प्रेमिका के घर वालों को ये मंजूर नही होता और वो उसे छोड़कर चली जाती है. आगे जाकर किसी और से उसकी शादी होती है. पत्नी के कहने पर सच बोलने के चक्कर में हर बार पकड़ा जाता है. तब वो चोर कैसे बना इस सवाल के जवाब की तलाश में दिल्ली जाकर संसद में सवाल पूछता है पर जवाब नहीं मिल पाता तो आगे जाकर किसी राज महल में अपने तिकड़म से वहा का राजा बन जाता है और वहा के राजा को महल से बाहर निकाल दिया जाता है. सच झूठ की उठा पटक और समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सीधा कटाक्ष करता है नाटक चोर पुराण.