भू माफिया और बेईमान नेता से लड़ा भूतों ने मुकदमा और जीते 

भू माफिया और बेईमान नेता से लड़ा भूतों ने मुकदमा और जीते 

Ananya soch:

अनन्य सोच। श्मशान और कब्रिस्तान की जमीन को भू माफिया हड़पना चाहते हैं तो मुर्दों में खलबली मच जाती है. और वे जिंदा बेईमानों से मुकदमा लड़ने का निश्चय करते हैं. और तब उनका साथ देता है एक कांइया वकील. अनैतिकता ,बेईमानी और बेलगाम मीडिया की करगुजारियों का पर्दाफाश करने वाले नाटक भूतों का मुकदमा उर्फ खु़दा गंजों को नाखून ना दे शो आज राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर के खचाखच भरे कलाम सभागार में हुआ. पिंक फेस्ट ताना-बाना में मुंबई के युवा नाटककार अनुरोध शर्मा के लिखे और वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक राही के निर्देशन में पीएमटी के बैनर तले यह नाटक मंचित हुआ. नाटक में वकील कांइयां और एडवोकेट पिंटो की जोरदार जिरह के बीच ईमानदार जज मनमोहन देसाई की टिप्पणियां, समकालीन न्याय व्यवस्था और अनैतिकता पर गहरा व्यंग्य करती नजर आई.

 नाटक में प्रेरणा पूनिया, वैभिका यादव ,एकता शर्मा, राहुल शर्मा, गौरव नैनवार, रामकेश मीणा, अभिषेक पूनिया ,रुद्र खत्री , गौरव यादव, अतुल गुप्ता, अजय जाटोलिया ,तुषार पठान, कृष्ण कुमार, मौहम्मद अनस, जतिन पारीक ,अक्षय कष्टिया,अंकित चौधरी प्रमोद बेनीवाल ने जोरदार अभिनय किया। नाटक में संगीत संयोजन सुप्रिया शर्मा और प्रकाश व्यवस्था राजीव मिश्रा ने किया,जबकि रूपसज्जाकार राधेलाल बांका थे. 

-नाटक का कथासार 

पांडे ,पीटर ,करीम और बेनाम चार मुर्दे जिनमें तीन आस्तिक और एक नास्तिक, स्वर्ग का सर्वर डाउन हो जाने से वर्षों अपने कर्मों का हिसाब किताब के इंतजार में रहते हैं. तभी एक दिन भू माफिया और बेईमान नेता के कारिंदे उनके शमशान कब्रिस्तान पर नाजायज कब्जा करके मांल बनाने आ जाते हैं. तब शुरू होता है कि ईमानदार जज की अदालत में भूतों का मुकदमा. दो शातिर वकील कइयां और पिंटों की जोरदार जिरह और नेता और बिल्डर के कुचक्र से भूत मुकदमा लगभग हार जाते हैं. लेकिन अंत में एक नाटकीय परिवर्तन से फैसला उनके पक्ष में हो जाता है. मुंबई के युवा स्क्रिप्ट राइटर अनुरोध शर्मा ने बहुत ही रोचक और प्रभावशाली ढंग से इस नाटक में आज के समाज में चल रही विसंगतियां का पर्दाफाश किया है. नाटक के संवाद समसामयिक थे. 

यही कारण है की अनेक संवादों पर दर्शक खूब ठहाके लगाते रहे.